Sunday, December 27, 2015

काश! हम आपके रूमाल ही बन पाते

काश! हम आपके रूमाल ही बन पाते।


चेहरा साफ करते, आपके होठों से लग जाते।


आपकी मुस्कराहट के भी होते हम ही साक्षी,


यदि कभी नयनों से बहते अश्रु हम उन्हें पी जाते।

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