Friday, January 31, 2025

कैलेंडर में कैद बसंत


सुबह-सुबह

कैलेंडर पर नजर गई

दिख गया वसंत!

खिड़की खोलने की कोशिश की

नहीं खुली, जाम के कारण।

जाम की समस्या आम है। 

जीवन पर धुंध

दिखता नहीं चाम है।

धुंध हर दिल में छाया है

मेक अप से, पोती जा रहीं काया हैं।

दरवाजा जैसे-तैसे खोला,

बाहर वसंत तो क्या?

शीत भी दिखा नहीं,

वायुगुणवत्ता सूचकांक को,

जीवन पचा नहीं।

मोबाइल पर संदेश आया,

हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है।

जैसे जहरीली शराब है।

वसंत की मजबूरी है

बाहर नहीं जा सकता,

कैलेंडर में कैद है।

जब प्रारंभ ही नहीं,

तो कैसा अन्त।

प्रेमी युगल कैद है मोबाइल में

कैलेंडर में कैद है वसंत।


Friday, January 10, 2025

कदम-कदम हो, मुझे जलातीं,

 इंसान तो समझो, चूल्हा नहीं है


भले ही कोई साथ नहीं है, भले ही, हाथ में हाथ नहीं है।

दूरी भले ही बनाई तूने, नहीं कहा कभी, साथ नहीं है।

एकान्त में प्रेम का गीत था गाया, खींच मुझे था गले लगाया।

जीना ही अब भूल गया हूँ जबसे तुमने है ठुकराया।

अकेलेपन की चाह नहीं है. खुद की खुद को थाह नहीं है।

पल-पल मिलने की तड़पन है, कहता फिर भी आह नहीं है।

खुशियाँ देना चाहा तुमको. दुखी हृदय पाया था तुमको।

खुशियों के पथ जाओ प्यारी, तुम्हें नहीं, ठुकराया खुद को।

तुम्हारे बिना मैं क्यों जीता हूँ? पढ़ नहीं पाता, अब गीता हूँ।

अमी तुम्हारे हाथ में था बस, क्षण-क्षण अब तो विष पीता हूँ।

आज भले ही दूर हूँ तुमसे, दिल में हो तुम, निकाला नहीं है।

मुझे छोड़, तुम बनी हो सबकी, झुकाया कभी भी माथ नहीं है।

जीना ही अब भूल गया हूँं. देखो कितना कूल भया हूँ।

तुमने सब कुछ सौंप दिया था, लूटा गया हूँ, लुट ही गया हूँ।

मजबूरी अब नहीं तुम्हारी, साथ चलें अब आओ प्यारी।

मनमर्जी तो नहीं चलेगी, मिलकर सजेगी, जीवन क्यारी।

तुम्हारे बिन मुझे जीना नहीं है. अमी भले हो पीना नहीं है।

जग में नहीं कोई आकर्षण, साथ तुम्हारा पसीना नहीं है।

साथ बहुत हैं संगी-साथी, हथिनी को मिल जाते हाथी।

जिनको अपना समझ रही हो, ठुकराएंगे वे सब साथी।

हम पर नहीं विश्वास, न सही, अपने आपको मत ठुकराओ।

ठोकर हमको मारो भले ही, खुद को. खुद के, गले लगाओ।

जीवन पर विश्वास अभी भी, आओगी, इसे भूला नहीं है।

कदम-कदम हो, मुझे जलातीं, इंसान तो समझो, चूल्हा नहीं है।


Thursday, January 9, 2025

जीवन पथ पर साथ था चाहा

तुमने पथ ही मोड़ दिया


जिस हाथ  से हाथ था पकड़ा, तुमने हाथ वह तोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

विश्वास से संबन्ध विकसते।

विश्वास से हैं सुमन विहँसते।

विश्वास पर चोट की तुमने,

कानून से देखा तुम्हें बहकते।

लालच, लोभ, कामुकता से भर, झूठा रिश्ता तोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

कानूनों को बना खिलोना।

तुमने चुना है प्रेमी सलोना।

रिश्तों को यूँ तार-तार कर,

कहाँ से सीखा झूठ बिलोना।

हमने सब कुछ तुमको सौंपा, तुमने सब कुछ फोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

रिश्तों से है तुमने खेला।

जिसको चाहा, उसको पेला।

स्वार्थ में अन्धी होकर के,

चोट की इतनी, हमने झेला।

हमने तुमको चाबी थी सौंपी, तुमने ताला तोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

बातचीत कर सब कुछ तय था।

किया वही, जिसको हमें भय था,

झूठे वायदे कर हमें फंसाया,

प्रौढ़ावस्था का तुम्हारा वय था।

निष्ठुरता से मार के ठोकर, धन लूटा हमें छोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।


Monday, January 6, 2025

रुपए बिन ना संगी-साथी

रुपए बिन ना काज है 


रुपए के सर ताज सजा है, रुपए का ही राज है।

रुपए बिन ना संगी-साथी, रुपए बिन ना काज है।।

रुपए से परिवार हैं बनते।

रुपए से सेहरे हैं सजते।

रुपए से ही बंधु और भगिनी,

रुपए से ईमान हैं ठगते।

रुपए से ही प्रेम विहँसता, रुपए पर ही नाज है।

रुपए बिन ना संगी-साथी, रुपए बिन ना काज है।।

रुपए हित ही लूट मची है।

रुपए हित ही झूठ बची है।

रुपए हित मर्डर होते हैं,

रुपए हित षड्यंत्र रची है।

रुपए हित हैं कपट और धोखे, संबन्धी बनते बाज है।

रुपए बिन ना संगी-साथी, रुपए बिन ना काज है।।

रुपए से शादी होती हैं।

रुपए से बिकती पोती है।

रुपए से हैं गर्भ पालतीं,

रुपए से लज्जा खोती हैं।

रुपए हित ईमान है बिकता, ठगने में ना लाज है।

रुपए बिन ना संगी-साथी, रुपए बिन ना काज है।।




Saturday, January 4, 2025

धन ही गणित में, धन ही जगत में,

 धन हर दिल में छाया है


धन बिन अपना कोई न यहाँ पर, संबन्ध भी धन की माया है।

धन ही गणित में, धन ही जगत में, धन हर दिल में छाया है।।

धन हित ही सन्तान को पालें।

धन हित चलते हैं यहाँ चालें।

धन हित ही महाभारत होते,

धन हित भाई, भाई को टालें।

धन है स्वारथ, धन परमारथ, धन-मन, धन ही गाया है।

धन ही गणित में, धन ही जगत में, धन हर दिल में छाया है।।

धन हित, प्रेमी, प्रेम लुटाएं।

धन हित बिकतीं हैं ललनाएं।

धन हित पति है, धन हित पत्नी,

धन हित मिटते और मिटाएं।

धन से ही सब मिलता यहाँ पर, धन ने सब ठुकराया है।

धन ही गणित में, धन ही जगत में, धन हर दिल में छाया है।।

धन का उल्टा ऋण होता है।

धन बिन किसने हल जोता है।

धन बिन कोई बीज न मिलता,

धन बिन सब, जीरो होता है।

धन हित, भाई, भाई को मारे, गले लगाया, पराया है।

धन ही गणित में, धन ही जगत में, धन हर दिल में छाया है।।