Friday, January 31, 2025

कैलेंडर में कैद बसंत


सुबह-सुबह

कैलेंडर पर नजर गई

दिख गया वसंत!

खिड़की खोलने की कोशिश की

नहीं खुली, जाम के कारण।

जाम की समस्या आम है। 

जीवन पर धुंध

दिखता नहीं चाम है।

धुंध हर दिल में छाया है

मेक अप से, पोती जा रहीं काया हैं।

दरवाजा जैसे-तैसे खोला,

बाहर वसंत तो क्या?

शीत भी दिखा नहीं,

वायुगुणवत्ता सूचकांक को,

जीवन पचा नहीं।

मोबाइल पर संदेश आया,

हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है।

जैसे जहरीली शराब है।

वसंत की मजबूरी है

बाहर नहीं जा सकता,

कैलेंडर में कैद है।

जब प्रारंभ ही नहीं,

तो कैसा अन्त।

प्रेमी युगल कैद है मोबाइल में

कैलेंडर में कैद है वसंत।


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