Saturday, February 24, 2018

मुस्कानों की खेती


                 
मुस्कानों की खेती कर लें, मुस्कानों का व्यापार करें।
सभी हमारे अपने हैं यहाँ, सबको ही हम प्यार करें।।
दो दिन का बस है यहाँ डेरा, 
नहीं लगेगा फिर यहाँ फेरा;
नहीं लेकर कुछ यहाँ से जाना,
फिर क्यूँ करना मेरा तेरा।
नहीं किसी पर दया है करनी, सब अपना अपना काम करें।
मुस्कानों की खेती कर लें, मुस्कानों का व्यापार करें।।
सहानुभूति की नहीं जरूरत,
सबके दिल ही हैं खुबसूरत;
कोई किसी सा नहीं है जग में,
सबकी अपनी अपनी मूरत।
प्राण हरण, कर्तव्य बने यदि, प्रसन्न करें, फिर वार करें।
मुस्कानों की खेती कर लें, मुस्कानों का व्यापार करें।।
राष्ट्रप्रेमी का है यह फण्डा,
नहीं उठाते किसी का झण्डा;
प्यार हमारा सबको मिलता,
सबका गुस्सा करते ठण्डा।
बाँह फैलाकर  करते स्वागत, मिलता नहीं, बस प्यार करें।
मुस्कानों की खेती कर लें, मुस्कानों का व्यापार करें।।