आओ कुछ पग साथ चलें
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* जीवन का कोई नहीं ठिकाना, कैसे जीवन साथ चले?*
*जीवन साथी नहीं है कोई, आओ कुछ पग साथ चलें॥*
*चन्द पलों को मिलते जग में, फ़िर आगे बढ़ जाते है।*
*स्वार्थ स...
3 weeks ago
"मुझे संसार से मधुर व्यवहार करने का समय नहीं है, मधुर बनने का प्रत्येक प्रयत्न मुझे कपटी बनाता है." -विवेकानन्द
ज्ञान का दीप
गली-गली आंगन-आंगन में
ज्ञान का दीप जलाएं पावन
करें रोशनी रंग बिरंगी
भारत हो जाये शतरंगी
सबका हृदय लुभाये भारत
विश्व गुरू कहलाये भारत
देखो तो तुम डरा अंधेरा सरपट भागा,
देश हमारा इसने त्यागा
ज्ञान उजाला कैसा होगा
सूर्य चन्द्र के जैसा होगा
हरसेगा जन-गण का मन
हृदय बनेगा निर्मल पावन
दीपोत्सव आया मन-भावन।
लुब्धानां याचकः शत्रुमूर्खाणां बोधकः रिपुः। जारस्त्रीणां पतिः शत्रुश्चोराणां चन्द्रमा रिपुः॥६॥ मनुस्मृति दशवा अध्याय अर्थात- लोभी व्...
"स्वतन्त्र भारत में नारी को मिले वैधानिक अधिकारों की कमी नहीं- अधिकार ही अधिकार मिले हैं, परन्तु कितनी नारियां हैं जो अपने अधिकारों का सुख भोग पाती हैं? आप अपने कर्तव्यों के बल पर अधिकार अर्जित कीजिए। कर्तव्य और अधिकार दोनों का सदुपयोग कर आप व्यक्ति बन सकती हैं। आपको अपने कर्तव्यों का भान है तो कोई पुरुष आपको भोग्या नहीं बना सकता-व्यक्ति मानकर सम्मान ही करेगा। इसी तरह आने वाली पीढ़ी आपकी ऋणी रहेगी।"