Thursday, May 19, 2022

लेन-देन तो होता सौदा

 हम तो केवल प्रेम हैं करते, बदले में कोई चाह नहीं है।

लेन-देन तो होता सौदा, जिसकी हमको थाह नहीं है।।

कितने भी हो प्रेमी तुम्हारे।

हक मिल जाएं, तुम्हें तुम्हारे।

पाने की कोई चाह न हमको,

प्राण बख्स दो सिर्फ हमारे।

माँगे तुम्हारी पूरी करेंगे, मिलने की कोई राह नहीं है।

लेन-देन तो होता सौदा, जिसकी हमको थाह नहीं है।।

प्रेम, समपर्ण निष्ठा माँगे।

प्रेमी, प्रेम की भिक्षा माँगे।

तुम्हें मुबारक प्रेमी तुम्हारा,

हम घटनाओं से शिक्षा माँगे।

धन, पद, यश, संबन्ध मिटे सब, भरते कोई आह नहीं है।

लेन-देन तो होता सौदा, जिसकी हमको थाह नहीं है।।

लुट जाएंगे, मिट जाएंगे।

तुम चाहो तो मर जाएंगे।

जब तक जीवन, निर्भय विचरें,

समझो मत हम डर जाएंगे।

विश्वास घात की चोट जो मारी, उसकी भी परवाह नहीं है।

लेन-देन तो होता सौदा, जिसकी हमको थाह नहीं है।।


तुम तो प्यारी अंदर हो

 नहीं कोई रिश्ता है तुमसे, तुम तो दिल की मंदर हो।

हम प्यार करते हैं खुद से, तुम तो प्यारी अंदर हो।।

तुमसे है अस्तित्व हमारा।

तुमही हो बस मात्र सहारा।

तुमने ही जीना सिखलाया,

तुम ही नदी, तुम ही किनारा।

प्रेम की डोर बधें हम पुतले, तुम ही हमारी कलंदर हो।

हम प्यार करते हैं खुद से, तुम तो प्यारी अंदर हो।।

तुमसे नफरत नहीं कर सकते।

खुद ही खुद को नहीं छल सकते।

प्रारंभ और अंत भी तुम हो,

नारी बिन नर, जी नहीं सकते।

नहीं हो केवल प्रेम सरोवर, तुम तो पूरी समंदर हो।

हम प्यार करते हैं खुद से, तुम तो प्यारी अंदर हो।।

तुम हमसे कभी विलग नहीं हो।

चिंगारी बन सुलग रही हो।

शीतल अग्नि प्रेम की मधुरा,

अंर्धाग हो मेरी, अलग नहीं हो।

तूफानी खतरों में हम फँसते, तुम ही हमारी लंगर हो।

हम प्यार करते हैं खुद से, तुम तो प्यारी अंदर हो।।


Monday, May 16, 2022

मिटने की परवाह नहीं हैं

 नहीं चाह बाकी अब कोई।

बेशर्मी की ओढ़ी लोई।

पति पत्नी की भेंट चढ़ गया,

पत्नी जा यारों संग सोई।


जीने की अब चाह है खोई।

फसल काटते, जो थी बोई।

आँख बंद विश्वास किया था,

घात है गहरा, आश न कोई।


मिलने की कोई चाह नहीं है।

वियोग की भी आह नहीं है।

भंवरों को सौंपा है खुद को,

खोजते कोई राह नहीं हैं।


विश्वासघात की चोट है गहरी।

हम गंवार हैं, तुम हो शहरी।

कपट से कंचन महल बनाओ,

लूटेंगे तुम्हें, तुम्हारे प्रहरी।


जिसकी कोई चाह नहीं है।

बाकी कोई राह नहीं है।

सब कुछ मिटा दिया है तुमने,

मिटने की परवाह नहीं हैं।


Saturday, May 14, 2022

जीवन की कीमत पर देखो

धन और पद ये जुटाते हैं 


सभी प्रेम के गाने गाकर, नफरत चहुँ ओर लुटाते हैं।

जीवन की कीमत पर देखो, धन और पद ये जुटाते हैं।।

संबन्धों के, भ्रम में, हम जीते।

सुधा के भ्रम, गरल हैं पीते।

कपट करें कंचन की खातिर,

खुद ही खुद को, लगाएं पलीते।

कंचन काया नष्ट करें नित, फिर कुछ कंचन पाते हैं।

जीवन की कीमत पर देखो, धन और पद ये जुटाते हैं।।

प्रेम नहीं कहीं हैं मिलता।

फटे हुए को है जग सिलता।

नवीनता का ढोंग कर रहे,

जमा रक्त है, नहीं पिघलता।

अपनत्व ही जाल बना अब, अपना कहकर खाते हैं।

जीवन की कीमत पर देखो, धन और पद ये जुटाते हैं।।

अपनों का हक मार रहे हैं।

संबन्ध इनकी ढाल रहे हैं।

स्वारथ पूरा करने को ही,

संबन्धों को साध रहे हैं।

अपना कह कर लूट रहे नित, अपना कह भरमाते हैं।

जीवन की कीमत पर देखो, धन और पद ये जुटाते हैं।।


Monday, May 9, 2022

बताओ प्यारी, क्या पाया तुमने?

 नहीं, प्रेम की, कोई सीमा, प्रेम, नहीं कोई बंधन है।

संबन्धों का मधु प्रेम है, संबन्धों को प्रबंधन है।।

प्रेम हमें हैं शेष जगत से।

केवल नहीं, किसी भगत से।

खुद ही खुद से प्रेम करें हम,

प्रेम नहीं है, किसी तखत से।

प्रेम सरोवर, वास हमारा, नहीं कोई यहाँ क्रंदन है।

संबन्धों का मधु प्रेम है, संबन्धों को प्रबंधन है।।

कपट झूठ का लेश नहीं है।

असंतोष यहाँ शेष नहीं है।

प्रेम नशीली वस्तु नहीं है,

प्रेमी कोई मदहोश नहीं है।

प्रेम में क्रोध नहीं होता है, प्रेम तो शीतल चंदन है।

संबन्धों का मधु प्रेम है, संबन्धों को प्रबंधन है।।

कपट जाल बिछाया तुमने।

कानूनों में, उलझाया तुमने।

प्रेम शब्द को, कलंकित करके,

बताओ प्यारी, क्या पाया तुमने?

प्रेम नहीं, हथियार लूट का, प्रेम, प्रेम का वंदन है।

संबन्धों का मधु प्रेम है, संबन्धों को प्रबंधन है।।


Thursday, May 5, 2022

मिलें प्रेम की ढेरों खुशियाँ,

ऐश्वर्य तुम्हारा बना रहे


 चेहरे पर मुस्कान रहे नित, प्रेम तुम्हारा बना रहे।

मिलें प्रेम की ढेरों खुशियाँ, ऐश्वर्य तुम्हारा बना रहे।।

कभी याद ना हमको करना।

कभी किसी से ना तुम डरना।

सह लेंगे हम घात तुम्हारे,

तुमको मिले खुशियों का झरना।

हम लुटने को राजी नित, कोष तुम्हारा बना रहे।

मिलें प्रेम की ढेरों खुशियाँ, ऐश्वर्य तुम्हारा बना रहे।।

नहीं कोई है चाह हमारी।

तुम्हें मिले, प्रेमी की क्यारी।

तुमसे मुक्ति मिल जाए हमको,

एक यही है आह हमारी।

कोई सजा न हमको भारी, इकबाल तुम्हारा बना रहे।

मिलें प्रेम की ढेरों खुशियाँ, ऐश्वर्य तुम्हारा बना रहे।।

धन की चाहत, तुम्हारी पूरी।

प्रेमी बिन, ना, रहो अधूरी।

विश्वासघात हम झेल चुके हैं,

आरिफ की चाह, करो तुम पूरी।

हम तो एकल ही जी लेंगे, साथ तुम्हारा बना रहे।

मिलें प्रेम की ढेरों खुशियाँ, ऐश्वर्य तुम्हारा बना रहे।।


Monday, May 2, 2022

प्रेम सुधा को तुम अब पी लो

                            मानव हो मानव बन जी लो


प्रेम सुधा को तुम अब पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


सबसे मिलकर रहना सीखो।

दुःख में भी खुश रहना सीखो।

सब ही मित्र नहीं कोई दुश्मन,

माँगों नहीं, लुटाना सीखो।

कपट गरल तुम हँस पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


नहीं किसी से लेना बदला।

खुद को ही हमने है बदला।

आहत हुए कदम-कदम पर,

प्रेम से ही है चुकाया बदला।

सच बोलो, झूठ को पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


किसी से कोई आश नहीं है।

साथी  कोई साथ नहीं है।

अकेले ही हम खुश रह लेते,

साथ के लिए मजबूर नहीं हैं।

अकेलेपन का रस भी पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।


खुद ही खुद के साथी है हम।

सृजन के, संगी साथी है हम।

विश्वासघात से आहत होकर,

विश्वास के सदैव, साथी है हम।

जीओ और जीवन रस पी लो।

मानव हो मानव बन जी लो।।