Tuesday, October 20, 2015

आपको याद होगा

यादों में मैं तड़प रहा, पास अब आ जा प्रिये।
मीठे-मीठे बोल बोल, अपने हिय से लगा ले प्रिये।
तड़पन मेरी ही है, तेरी तड़पन का प्रमाण।
दिल को मारकर क्यों? अपने को सताये प्रिये।

मैं भी तड़प रहा प्रिये, आप भी तो तड़प रहीं।
हम दोनों ही हैं एक फिर, आग क्यों भड़क रही।
दुनियाँ के डर से ही आप, हमें क्यों भुला बैठीं?
दुनियाँ है प्यार की दुष्मन, यही है रीति रही।

6.22.2007

मिले थे हुए थे एक कभी हम आपको याद होगा।
रोये थे, हँसे थे, मिलकर कभी, आपको याद होगा।

अस्त होते हुए, चाँद-सी, आप धीरे से मुस्करायीं थीं।
खिले थे आपके गुलाब, होठों के, आपको याद होगा।

षोड्सी बाला की तरह, आपके कपोलों की अरुणाई थी।
पिया था नयनों का जाम हमने मिल, आपको याद होगा।

नदी के सूखे किनारों की तरह, मैं इस पार आप उस पार पड़ीं।
फूल खिलने से पहले ही,मसलीं गईं कलियाँ, आपको याद होगा।

ये डाली भी है सूखती, हर पल, वो डाल भी तो सूख रही।
कलियों से फूल, फूल से फल बनने थे, आपको याद होगा।