बसन्त पंचमी से मौसम परिवर्तन माना जाता है. शीत के साथ बसन्त का आगमन. चहुं और उल्लास का वातावरण, मनमोहक व प्रेरक मौसम में प्रत्येक कार्य के लिये उत्साह होता है. शिक्षा के क्षेत्र में इस दिन पट्टी पूजन के साथ शिक्षारंभ किया जाता रहा है तो इस दिन को विद्या की देवी सरस्वती के जन्म दिन के रूप में भी मनाया जाता रहा है.
दूसरी और युवक व युवतियां बसन्त को मदनोत्सव व कामोत्सव का मौसम मानते रहै है. होली तक का मौसम बड़ा ही सुहावना व युवा दिलों को ही नहीं अधेड़ो के दिलो को भी मिलन के लिये उत्तेजित कर देने वाला कहा जा सकता है.
पश्चिम में भी इसी समय वेलेन्टाइन डे अर्थात प्रेम दिवस मनाने की परंपरा रही है. १४ फ़रवरी प्रेम दिवस के रूप में मनाई जाती है. भारत में हम लोग नकल करने की प्रवृत्ति के कारण इस और आकर्षित हो रहै है, सवा महीने के बसन्तोत्सव को भूलकर एक दिन को प्रेम दिवस के रूप में मनाना निःसन्देह हमारी मूर्खता ही कही जा सकती है. प्रेम तो जीवन का आधार है, एक दिन नहीं हर क्षण प्रेम के लिये समर्पित होना चाहिये.
कुछ कथित रूप से समाज के स्वयं भू ठेकेदार इस दिन संस्कृति के रक्षक बनकर हिंसा पर उतारू हो जाते हैं, जिसे किसी भी प्रकार से उचित नहीं कहा जा सकता. यह उनकी मानसिक विकृति ही कही जा सकती है. यदि वे संस्कृति व समाज की इतनी ही चिन्ता करते हैं तो उन्हें बसन्त के आयोजन करके सकारात्मक परिवर्तन करते हुए प्रेम दीवाने युवक-युवतियों को प्रेम से संयम व मर्यादा के साथ प्रेम प्रकट करने की राह दिखानी चाहिए.
इस के साथ ही
सभी मित्रों को बसन्तोत्सव, कामोत्सव व प्रेमोत्सव की शुभकामनायें