Saturday, May 30, 2015

हँसती रहो प्रिय, आनन्द मनाओ नित

काटों में ही सुगन्ध की खोज हम करते रहें 



खोजती हैं आप पथ, सुगन्ध से भरा हुआ

अपना पथ तो है केवल काँटो से सजा हुआ

काटों में ही सुगन्ध की खोज हम करते रहें,

जाओं आप पथ मिले कमल दल विछा हुआ।



आपके लिए हम आप हमारे लिए 

कहती थी आप कभी,अलग किनारे हुए

आप तो खुशियों में हमको भुला ही बैठे,

आपको आज भी, हम दिल में सजाए हुए।



खुश हैं हम भी खुश आप रहते हो।

दुःखी होते हम जब आप दुख सहते हो।

आप भले अपने को हम से भिन्न कहो,

आप तो हमारी नित यादों में रहते हो।



आप हैं खुश हम समझते उस पल, 

मुस्कान चेहरे पर हमारे है आ जाती।

जब आप संयोग की अवस्था में होती वहाँ

हमारे शरीर पर भी खुमारी है छा जाती।

गान जब आप गायें नृत्य करे मन-मयूर,

हमारे हिय में भी कोयल है गीत गाती।

हँसती रहो प्रिय, आनन्द मनाओ नित,

आपकी वो मुस्कान हमें हर पल भाती।

Friday, May 29, 2015

कहती हो क्यों? किसी और की पराई हो

मन से तो प्रिये


आपसे कभी हमारा वियोग हुआ ही नहीं,

आप तो हमारे रोम-रोम में समाई हो।

आप तो साथ हमारे, रहती हो हर पल,

आप ही हमारे अंग-अंग में समाई हो।

आपके ही कहने से कर रहे हर काम,

कहती हो क्यों? किसी और की पराई हो।

शरीर से ही तो, रहती हो केवल दूर,

मन से तो प्रिये, हमारे हिय में समाई हो।

Wednesday, May 27, 2015

प्रेम के नाम पर विश्वास हैं छला

प्रेम के नाम पर विश्वास हैं छला 


                         रोशनी विश्वकर्मा




कितनी अजीब बात हैं 
कभी किसी ने मुझसे कहा था.
उसके जीवन में प्रेम नही कर्तव्य बड़ा 
उसके जीवन में प्रेम का कोई स्थान नही 
आज प्रेम को ईश्वरीय रुप दे डाला 
वाह प्रभु तेरे भी खेल निराले हैं 
एक इंसान के रूप में दोहरा इंसान बना डाले हैं,
प्रेम के नाम पर सिवाय धोखे के नही दिखा,
मुझे कुछ भी.
प्रेम के नाम पर विश्वास हैं छला 
प्रेम के नाम पर भावनाओ से खेला
घड़ी घड़ी हर रंग में बदलता प्रेम 

प्रेम के नाम पर ही अपने स्वार्थ की पूर्ति करता इंसान
हितापुर्ति के नाम पर प्रेम की दुहाई देता इंसान
इस प्रेम नाम ने तो प्रभु आप को भी ना छोड़ा 


प्रभू मैने तो यही समझा, 
जो होता यदि सप्रेम के नाम पर विश्वास हैं छला च्चा प्रेम.

ना छोड़ता कोई किसी का साथ 
यू बीच राह में पकड़ कर हाथ 
कभी कर्तव्य की दुहाई दे कर 
कभी समय सीमा के पाश में बाँध कर 
यू अन्तह्मन को ना घायल करता 
यू अन्तह्मन को ना घायल करता 
यू ना बिकता प्रेम दो कौड़ी के मोल 
ना बिकता प्रेम दो कौड़ी के मोल 
धरती पर ना रहा प्रेम अनमोल 
अब ना रहा प्रेम अनमोल.

Saturday, May 23, 2015

हमको तो प्रेम ही ईश्वर का रूप लगा

प्रेम ही जीवन सार, प्रेम ही लगे सगा



सृष्टि का कण-कण लगता है प्रेम पगा।

प्रेम ही जीवन सार, प्रेम ही लगे सगा।

आपके लिए भले ही, प्रेम हो बकवास।

हमको तो प्रेम ही ईश्वर का रूप लगा।

प्रेम नहीं स्वारथ, प्रेम नहीं वासना।

सभी प्राणियों मध्य प्रेम ही जोड़े तगा।

प्रेम का सौदा तुम करना नहीं कभी प्रिय।

प्रेम के बिना कोई दुनियाँ में नहीं सगा।

प्रेम का अंकुर, विनिष्ट नहीं होगा कभी।

जल, थल, नभ भी तो देखो प्रेम पगा।

Tuesday, May 19, 2015

हाँ! ऐसा होता है अक्सर्

हो सकता है


जीवन में नहीं मिलता,

प्यार के बदले प्यार,

विश्वास के बदले विश्वास,

समर्पण के बदले समपर्ण

हाँ! ऐसा होता है अक्सर्

आप जिसको करें प्यार

वह व्यक्त करे केवल आभार

आप जिस पर करें विश्वास

वह करे आपके सामने विश्वासघात्

और समर्पण नाम की चीज

तो भूल ही जाओ!

सबकी अपनी-अपनी परिभाषाएँ हैं

प्यार, विश्वास और समर्पण की

हो सकता है आपको धोखा देने वाले,

विश्वासघात करने वाले,

आपका शोषण करने वाले

आपके सामने प्यार, विश्वास

और समर्पण का दम्भ भरें

और आई लव यू कह कर

प्यार शब्द का मजाक उड़ायें।

Wednesday, May 6, 2015

तुम देखो मुझको

दिल की गिरह खोल दो 


                            रोशनी विश्वकर्मा






क्यु होते हो नाराज़ तुम मुझसे 

कयू बैठे हो दिल में बात दबाये



बस एक बार बोल दो.


दिल की गिरह खोल दो 



प्यार की अंखियॊं से 


तुम देखो मुझको,


मौका ना मिलेगा 

चले आओ बस एक बार तुम

जाने कैसे हैं इरादे तुम्हारे 

                         रोशनी विश्वकर्मा


कैसे हैं आप, हमें याद तक नही करते.

मगर याद बहुत आते तुम.


ना जीने देते हो, ना मरने देते हो,


दिल के पास आना चाहूं,


तो कपाट दिल के कर जाते हो बन्द


जो नराज हो कर, दुर जाती हूँ.


तो खींच कर बुला लेते हो क्यु 


आपनी बाँहों में, 


जाने कैसे हैं इरादे तुम्हारे 


क्या बिगाडा था हमने तुम्हरा,


तेरी बाँहों में मरने की तमन्ना रखती हूँ,


क्या यही खता हैं मेरी.


क्यु ना दर्द मेरे तुम समझते,


दोस्ती ना सही दुश्मनी ही सही


निभाने की खतिर 


अब भी वक्त हैं 


अपने दिल की सुनो 


चले आओ बस एक बार तुम


या बुला मुझे अपने पास 

Tuesday, May 5, 2015

तड़पते क्यूँ हम, यदि दिल आप नहीं हरते

झुकते हैं वही जो तन्हाइयों से हैं डरते



कैसे हैं आप? हमें याद तो नहीं करते।

जिद है आपकी बतलाया भी नहीं करते।

प्रेम से इन्कार करना, आसान हो कितना भी,

प्रेम के बिना प्राणी जीते नहीं, न ही हैं मरते।

समझौता जीवन में खुशी नहीं कभी देता।

झुकते हैं वही जो तन्हाइयों से हैं डरते।

समझौता करने से प्रेम नहीं कभी मरता,

आज भी आपको हम याद नित ही करते।

आप हमें नहीं मिले, हम आपको मिल चुके,

तड़पते क्यूँ हम, यदि दिल आप नहीं हरते।

Saturday, May 2, 2015

वो अपना है

ऐसे कितने है ?


                रोशनी विश्वकर्मा


क्या खूब कही तुमने सीधी  सच्ची बातें I 

 भाषण से ना काम चले है ,

कुछ कर के तुम दिखलाओ I 

पाप पुण्य  कभी ना समझा  I 

धर्म अधर्म ना जाना   I 

जो मैं बदली , जग बदला I 

यश की इच्छा कभी हुयी ना,

मानव हूँ मानव बनकर ही, 

 हर दम -हर कदम पर 

पाया है धोखा,  

जीवन की दिशा मैं क्या मोडूं, 

जीवन खुद बा खुद मुड़ गया है प्यारे I 

सीधी सच्ची बात कही तुमने .

कहने को अपना सारा जग है ,

पर हाथ पकड़ कर जो साथ चले 

वो अपना है I 

उपेक्षा देने वाले बहुतेरे है ,

अपेक्षा को अपना मान जो साथ चले  

ऐसे कितने है I 

वचन देने वाले बहुतेरे है ,

वचन देकर जो निभा जाये ऐसे कितने है I

जग में कहने को तो सब निराले है ,

पर जो कुछ अलग कर दिखला जाये 

ऐसे कितने है ?

तप , त्याग की बातें करते बहुतेरे है ,

पर कोई किसी के लिए अपना सब कुछ

 हार जाये ऐसे कितने है I 

कर्म करो की बातें करते है ,

पर कोई सच्चा कर्म निभा जाये

ऐसे कितने है .

वाह ! क्या खूब कही 

सीधी  सच्ची बातें .

भाषण से ना काम चले हैं 

कुछ  कर के तुम दिखलाओ I