Saturday, May 30, 2015

हँसती रहो प्रिय, आनन्द मनाओ नित

काटों में ही सुगन्ध की खोज हम करते रहें 



खोजती हैं आप पथ, सुगन्ध से भरा हुआ

अपना पथ तो है केवल काँटो से सजा हुआ

काटों में ही सुगन्ध की खोज हम करते रहें,

जाओं आप पथ मिले कमल दल विछा हुआ।



आपके लिए हम आप हमारे लिए 

कहती थी आप कभी,अलग किनारे हुए

आप तो खुशियों में हमको भुला ही बैठे,

आपको आज भी, हम दिल में सजाए हुए।



खुश हैं हम भी खुश आप रहते हो।

दुःखी होते हम जब आप दुख सहते हो।

आप भले अपने को हम से भिन्न कहो,

आप तो हमारी नित यादों में रहते हो।



आप हैं खुश हम समझते उस पल, 

मुस्कान चेहरे पर हमारे है आ जाती।

जब आप संयोग की अवस्था में होती वहाँ

हमारे शरीर पर भी खुमारी है छा जाती।

गान जब आप गायें नृत्य करे मन-मयूर,

हमारे हिय में भी कोयल है गीत गाती।

हँसती रहो प्रिय, आनन्द मनाओ नित,

आपकी वो मुस्कान हमें हर पल भाती।

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