मेरे एक भूत-पूर्व छात्र अमित चोधरी ने ऑरकुट प्रोफाइल पर मेरे लिए एक कविता लिखी है . अमित को धन्यवाद व शुभकामनाओं के साथ इसे यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ.
प्रस्तुत है अमित चोधरी की कविता
सफेदपोश शैतान
शरीर से रक्त
बहता है पसीना बनकर
कांटों को बुनती हुई
हथेलियां लहुलहान हो गयीं
अपनी मेहनत से पेट भरने वाले ही
रोटी खाते बाद में
पहले खजाना भर जाते हैं।
सीना तानकर चलते
आंखों में लिये कुटिल मुस्कराहट लेकर
लिया है जिम्मा जमाने का भला करने का
वही सफेदपोश शैतान उसे लूट जाते हैं।
4u sir
अपने लिए जिएं-१
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* समाज सेवा और परोपकार के नाम पर घपलों की भरमार करने वाले महापुरूष परोपकारी
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द...
10 months ago