मैं केरल से प्रेम करता हूँ । मुझे केरल व यहाँ के लोग बहुत पसंद हैं। मैं अक्सर यहाँ आना पसंद करता हूँ । यह अलग बात है कि यहाँ मुझे भाषा सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है यहाँ के लोग हिन्दी कम समझते हैं और मुझे मलयालम नहीं आती । काश! मैं मलयालम सीख पाता । कोई है यहाँ पर जो मुझे मलयालम सिखा कर अपना दोस्त बनाए। केरल संपूर्ण भारत के लिए मार्गदर्शक है। यहाँ की महान संस्कृति , कार्य संस्कृति , महिलाओं का राष्ट्र निर्माण मैं किया जाने वाला योगदान निश्चय ही देश के लिए अनुकरणीय है। शिक्षा के प्रसार से समाज को किस तरह बदला जा सकता है यह केरल के उदाहरण से सिखा जा सकता है। महिलाओं पर प्रतिबंधो कि आवश्यकता नहीं उनको आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इस का सुन्दर उदाहरण केरल है। केरल मैं हिन्दी भाषा के प्रसार की आवश्यकता है ताकि शेष देश के लोग केरल से जुड़ सकें। शाकाहारी भोजनालयों का अभाव शाकाहारी व्यक्तियों के केरल आने में रुकावट डालता है।
केरल है कैसा मनभावन चारों ओर हरियाली छाई
नर-नारी मिल साथ चलें सब नहीं किसी मैं छोट बड़ाई।
स्वामी विवेकानन्द के दृष्टिकोण से
-
धर्म
*स्वामी विवेकानन्द को हिन्दू संन्यासी कहना एकदम गलत होगा। वे संन्यासी तो
थे, किन्तु हिंदू संन्यासी थे, यह सही नहीं है। उन्हें हिन्दू धर्म तक सीमित
क...
1 week ago