Saturday, December 8, 2007

बड़ा कोंन

प्रिय मित्रो
सदर नमस्कार
आज का शीर्षक है बड़ा कोंन इसके संबंध में मेरे विचारों से लिख रहा हूँ कि अगर पांच भाई में से किसी से पूछा जाये कि आप में से बड़ा कोंन है तो उनमें से सबसे पहले जन्म लेने वाला ही कहेगा कि मैं बड़ा हूँ और इसी तरह यदि धरती और आकाश में से पूछा जाये कि आप में से बड़ा कोंन तो धरती कहेगी कि मैं और पूछा जाये कि क्यों तो क्यों कि मैं सभी का पालन पोषण पोषण करती हूँ और आकाश कहेगा कि मैं बड़ा हूँ और पूछा जाये कि क्यों तो क्यों कि मैं सभी को छाया प्रदान करता हूँ इसी प्रकार सूरज और चाँद में से भी पूछने पर भी दोनो अपने आपको बड़ा बताएँगे लेकिन अगर भगवान और भक्त में से पूछा जाये तो भगवान कभी नहीं कहेंगे कि मैं बड़ा हूँ वे तो भक्त को ही बड़ा बताएँगे और कारण भी बता देंगे कि भगवान भक्त की भक्ति के अधीन होते है क्यों कि भक्त चाहे जहाँ भगवान को बुला सकता है अगर उसकी भक्ति में शक्ति है तो इसलिए सबसे बड़ा भक्त है

Thursday, December 6, 2007

नमस्कार

प्रिय मित्रों
आज दूसरा दिन है
सभी मित्रो को नमस्कार मालूम होवे
शेष बातें कल करेंगे

Wednesday, December 5, 2007

सबसे बड़ा सुख

अगर किसी से पूछा जाये कि सबसे बड़ा सुख क्या है तो कोई कहेगा कि जिसके पास पैसा है उसके पास दुनिया के सभी सुख है और कोई कहेगा कि जिसके पास संतान है उसके पास सभी सुख है और कोई क्या कोई क्या सुख बतलायेगा लेकिन मेरे विचारों से तो सबसे बड़ा सुख संतोष है यानी आदमी को संतोषी होना ही है जो आदमी संतोष में नहीं जी सकता वह कभी सुखी नहीं हो सकता है इसलिए संतोष ही सबसे बड़ा सुख है

Tuesday, December 4, 2007

मांगे नहीं

मांगना सबसे बड़ी नीचता है। हमें कभी किसी से कुछ नही मांगना चाहिऐ किसी से भी नहीं यहाँ तक कि ईश्वर से भी नहीं क्योंकि हमारे लिए जो भी आवश्वक है वह ईश्वर ने बिना मांगे प्रदान कर दिया है अब कुछ मांगना नहीं है। कहा भी गया है- मांगन से मरना भला मत कोई मांगो भीख
अत: सभी के प्रति श्रद्धा व सम्मान रखो। निस्वार्थ भक्ति के साथ किसी को भी पूजो किन्तु किसी से भी कुछ मांगकर ईश्वर के प्रति अविश्वाश मत प्रकट करो। अपने पुरुषार्थ से कमाकर देना सीखो। तभी सर्वोच्च सत्ता के लिए कृतज्ञता प्रकट कर पाओगे चाणक्य नीति में लिखा है :
इस संसार में सबसे हलकी घास है , घास से भी हलकी रुई है और रुई से भी हल्का याचक है तो जब उन दोनों को घास और रुई को उड़ाकर ले जाती तो याचक को क्यों नहीं उड़ा ले जाती? इस पर उनका उत्तर है कि वायु उसे उस भय से उड़ा नहीं ले जाती, क्योंकि वह जानती है कि याचक उससे भी याचना करेगा। कहने का आशय यह है कि याचक से सभी दूर भागते हैं । अतः हमें कभी भूल कर भी किसी से याचना नहीं करनी चाहिऐ । ईश्वर से भी नहीं।

Monday, December 3, 2007

महान

अधम मरत फस धनही में , मध्यम धन और मान।
ऊंचे केवल मान में, फंसते नहीं महान ॥