Sunday, October 27, 2024

चंदा के बिन, नहीं चाँदनी,

 चाँदनी से ही चाँद नित सजते हैं।



24.08.2024

 संग-साथ बिन नहीं है जीवन, मैं-मैं मिल कर हम बनते हैं।

चंदा के बिन,  नहीं चाँदनी, चाँदनी से ही चाँद नित सजते हैं।।

पुरुष और प्रकृति मिलकर।

राग और विराग से सिलकर।

सुगंध जगत को देते हैं मिल,

कमल के साथ कमलिनी खिलकर।

पथ के बिन कोई पथिक हो कैसे? पथिक से ही, पथ बनते हैं।

चंदा के बिन,  नहीं चाँदनी, चाँदनी से ही चाँद नित सजते हैं।।

साध्य और साधन मिलकर।

मेघ आते हैं, हिल-मिलकर।

साधक बिन, साधना कैसी?

नदी पूर्ण सागर से मिलकर।

अकेला वर्ण कोई अर्थ न देता, मिलकर अर्थ निकलते हैं।

चंदा के बिन,  नहीं चाँदनी, चाँदनी से, चाँद नित सजते हैं।।

एक के बिन, अस्तित्व न दूजा।

नर बिन, नारी करे न पूजा।

पंच तत्व के मिलने से ही,

जन्म लेता है जग में चूजा।

राष्ट्रप्रेमी मिलकर ही राष्ट्र है, अलगाव से, राष्ट्र बिखरते हैं।

चंदा के बिन,  नहीं चाँदनी, चाँदनी से, चाँद नित सजते हैं।।


जो जीवों को खाते है,

 सबके हित में काम करेंगे

22.08.2024


जो जीवों को खाते है, वे जीवों से, क्या प्रेम करेंगे!

आज कर रहे प्रेम प्रदर्शन, कल उनका आहार करेंगे!!

जिसके मुँह है रक्त लग गया।

माँसाहार का चश्क लग गया।

मानवता को क्या समझेगा?

परपीड़न में, कंबख्त लग गया।

शाकाहार को अपनाकर ही, प्रकृति का सम्मान करेंगे।

आज कर रहे प्रेम प्रदर्शन, कल उनका आहार करेंगे!!

जिसके मुँह है, मुफ्त लग गया।

जिसे मुफ्त का माल मिल गया।

मुफ्तखोरों का स्व मर जाता,

आत्मा का भी मान मिट गया।

मुफ्तखोर जो मुफ्त चाहते, श्रम का क्या सम्मान करेंगे!

आज कर रहे प्रेम प्रदर्शन, कल उनका आहार करेंगे!!

दुखो से पीड़ित दुनिया सारी।

सबकी अपनी-अपनी बारी।

बोधिसत्व का बोध कह रहा,

नहीं चलाओ, किसी पर आरी।

पल-पल पीड़ा देते हैं जो, कैसे किसी को सुखी करेंगे!

आज कर रहे प्रेम प्रदर्शन, कल उनका आहार करेंगे!!

स्वयं कमाकर खाना सीखो।

सुख देना, सुख पाना सीखो।

शाकाहार को अपना कर,

सबको गले लगाना सीखो।

राष्ट्रप्रेमी संग साथ चलो मिल, सबके हित में काम करेंगे।

आज कर रहे प्रेम प्रदर्शन, कल उनका आहार करेंगे!!