Thursday, November 28, 2024

जीवन है बाजार में बिकता

संबन्ध बने यहाँ खेल है 

24.07.2024

संबन्धों पर स्वार्थ है हावी, रिश्तों में ना मेल है।

जीवन अब बाजार में बिकता, संबन्ध बने यहाँ खेल है।।

पैसा सबका बाप बन गया।

पैसे बिन प्रिय, ताप बन गया।

धन की खातिर बिकी किशोरी,

खरीददार दुल्हा, आप बन गया।

धनवानों को फंसा के शादी, दहेज केस कर जेल है।

जीवन अब बाजार में बिकता, संबन्ध बने यहाँ खेल है।।

हृदय पर है, बुद्धि हावी।

धन ही  है रिश्तों की चाबी।

प्रेम खुले बाजार में बिकता,

धन बिन पत्नी भी बर्बादी।

धन बिन पटरी से उतरे रिश्ते, उलटे जीवन रेल है।

जीवन अब बाजार में बिकता, संबन्ध बने यहाँ खेल है।।

भावुक हैं, हमें मूर्ख है माना।

स्वार्थ का गाया नहीं है गाना।

हम तो समझें, प्रेम की भाषा,

कपट का लेकिन हुआ फंसाना।

दुनियादारी नहीं है सीखी, राष्ट्रप्रेमी हुआ फेल है।

जीवन अब बाजार में बिकता, संबन्ध बने यहाँ खेल है।।


Thursday, November 14, 2024

राही हूँ,नहीं कोई ठिकाना

किसी से विशेष संबन्ध नहीं हैं

21.08.2024

राही हूँ, नहीं कोई ठिकाना, किसी से विशेष संबन्ध नहीं हैं।

नहीं चाहत, नहीं इच्छा कोई, तुम पर कोई  बंध नहीं है।।

नहीं कोई अपना, नहीं पराया।

संबन्धों ने बहुत   लुभाया।

अपने बनकर ठगते ठग हैं,

प्रेम नाम पर बहुत सताया।

प्रेमी ही यहाँ, प्राण हैं हरते, कैसे कहूँ? संबन्ध  नहीं है। 

नहीं चाहत, नहीं इच्छा कोई, तुम पर कोई  बंध नहीं है।।

जिसको देखो, अपना लगता।

हाथ में आया, सपना लगता।

अपने ही हैं, गला रेतते,

जीवन अब, वश तपना लगता।

स्वार्थ से रिश्ते जीते-मरते, बची हुई कोई, सुगंध नहीं है।

नहीं चाहत, नहीं इच्छा कोई, तुम पर कोई  बंध नहीं है।।

संबन्धों की कैसी माया?

झूठे ही संबन्ध  बनाया।

शिकार किया, फिर बड़े प्रेम से,

चूसा, लूटा और  जलाया।

छल, कपट और भले लूट हो, प्रेम की मिटती गंध नहीं है।

नहीं चाहत, नहीं इच्छा कोई, तुम पर कोई  बंध नहीं है।।


Wednesday, November 13, 2024

प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना,

 प्रेम की कोई रीत नहीं है

21.08.2024


प्रेम है निष्ठा, प्रेम समर्पण, प्रेम में कोई जीत नहीं है।

प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई रीत नहीं है।।

प्रेम में, ना पाने की चाहत।

प्रेम न करता, किसी को आहत।

प्रेम पात्र हित सदैव है जलना,

प्रेम न माँगे, कोई राहत।

प्रेम त्याग है, प्रेम आग है, प्रेम भाव है, गीत नहीं है।

प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई रीत नहीं है।।

प्रेम की होती न कोई इच्छा।

प्रेम न लेता, कभी परीक्षा।

प्रेम तो वश, प्रेमी को जाने,

प्रेम न कानून, प्रेम न शिक्षा।

प्रेम है दुर्लभ, प्रेम है गौरव, प्रेम के जैसा, मीत नहीं है।

प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई रीत नहीं है।।

प्रेम हार कर, करता अर्पण।

प्रेम जीत का करे समर्पण।

प्रेम भाव है, अमर कहाता,

प्रेम का कभी न होता तर्पण।

प्रेम ही जप है, प्रेम ही तप है, प्रेम गुलाबी, भीत नहीं है।

प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई रीत नहीं है।।


Monday, November 11, 2024

गैरों ने भी गले लगाया

अपनों ने ठुकराया है


नहीं कोई है अपना यहाँ पर, कोई नहीं पराया है।

गैरों ने भी गले लगाया, अपनों ने ठुकराया है।।

संबन्धों का आधार भावना।

संबन्धों की होती साधना।

मस्तिष्क तो करता विश्लेषण,

लक्षित स्वार्थ की करे कामना।

कोई देता त्याग प्रेम से, दिल भी किसी ने चुराया है।

गैरों ने भी गले लगाया, अपनों ने ठुकराया है।।

सभी के अपने-अपने स्वारथ।

कहते हैं, उनको परमारथ।

प्रेम नाम ले लूट रहे नित,

राष्ट्रप्रेमी भी होते गारत।

अपने बन यहाँ लूट रहे हैं, फिर भी प्रेम दिखाया है।

गैरों ने भी गले लगाया, अपनों ने ठुकराया है।।

झूठ, छल और कपट प्रेम है।

संबन्धों का यहाँ गेम है।

हत्या करते हैं जो यहाँ पर,

सम्मान में जड़ते वही फ्रेम है।

धन की खातिर हत्या होती, सब कुछ किसी ने लुटाया है।

गैरों ने भी गले लगाया, अपनों ने ठुकराया है।।