प्रेम की कोई रीत नहीं है
21.08.2024
प्रेम है निष्ठा, प्रेम समर्पण, प्रेम में कोई जीत नहीं है।
प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई रीत नहीं है।।
प्रेम में, ना पाने की चाहत।
प्रेम न करता, किसी को आहत।
प्रेम पात्र हित सदैव है जलना,
प्रेम न माँगे, कोई राहत।
प्रेम त्याग है, प्रेम आग है, प्रेम भाव है, गीत नहीं है।
प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई रीत नहीं है।।
प्रेम की होती न कोई इच्छा।
प्रेम न लेता, कभी परीक्षा।
प्रेम तो वश, प्रेमी को जाने,
प्रेम न कानून, प्रेम न शिक्षा।
प्रेम है दुर्लभ, प्रेम है गौरव, प्रेम के जैसा, मीत नहीं है।
प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई रीत नहीं है।।
प्रेम हार कर, करता अर्पण।
प्रेम जीत का करे समर्पण।
प्रेम भाव है, अमर कहाता,
प्रेम का कभी न होता तर्पण।
प्रेम ही जप है, प्रेम ही तप है, प्रेम गुलाबी, भीत नहीं है।
प्रेम है जीवन, प्रेम है सपना, प्रेम की कोई रीत नहीं है।।
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