Sunday, June 21, 2015

वियोग सहा है बहुत ही अब तक

गीत मिलन के भी गा जाओ


गले  लगो अब तो आ जाओ,

अन्तर तम में तुम छा जाओ।

वियोग सहा है बहुत ही अब तक

गीत मिलन के भी गा जाओ।

शिकवे शिकायत दूर करेंगे,

एक-दूजे के जब हो लेंगे।

डरती क्यों हो कठिनाई से,

मिलकर कष्टों  को जी लेंगे।

Saturday, June 20, 2015

कामाग्निी में तपी हुई हो

कह नहीं सकते साथ नहीं हो


आप हमारे पास नहीं हो,
कह नहीं सकते साथ नहीं हो।
आप आज भी छिपी हो उर में,
कैसे कहें अब आश नहीं हो।

हम साथ आपके ही जीते हैं,
नयनों की मस्ती पीते हैं।
कपोलों  की अरूणाई चूमें,
अधरामृत भी हम पीते हैं।

शरीर आपका दूर है भागा,
मन से हमने बाँधा तागा।
आपको नहीं छोड़ सकते हम,
जीते गीत आपके गा-गा।

आप ही दिल में बसी हुई हो,
आलिंगन में कसी हुई हो।
कहने में सकुचाती क्यों हो?
कामाग्निी में तपी हुई हो।

Tuesday, June 16, 2015

हँसने के दिन बीत चुके

अब घुट-घुट करके जीना है




जान-बूझकर नरक में कूदा, पी ले हलाहल पीना है।

हँसने के दिन बीत चुके, अब घुट-घुट करके जीना है।।

कैसे निभायेगा जिम्मेदारी?

धोखा मिला, धोखे से यारी

विश्वास किया, तूने जिस पर

छल के अंकुर, छल की क्यारी।

कर में आये कांच के टुकड़े, तूने  समझे नगीना हैं।

हँसने के दिन बीत चुके, अब घुट-घुट करके जीना है।।

कर्म पथ पर चलेगा कैसे?

सोते हुए को तजेगा कैसे?

जिनको अपने कहता है तू,

उनके दुख को सहेगा कैसे?

अकर्मण्य  हैं साथी  तेरे,  तूने  बहाना पसीना है।

हँसने के दिन बीत चुके, अब घुट-घुट करके जीना है।।

मरना चाहे मर नहीं सकता,

जिम्मेदारी तज नहीं सकता

प्रेम का नाटक होता है नित,

तू तो नाटक कर नहीं सकता।

समझाया, समझ न पाया, खुद ही निकला कमीना है।

हँसने के दिन बीत चुके, अब घुट-घुट करके जीना है।।

शिकायत नहीं आपसे कोई

शिकायत केवल अपने से है


जो-जो सीख आपने दी थीं

बोले नहीं चुपचाप ही पी थीं।

हृदयंगम आज कर रहे उनको,

जीवन में जो आपने जी थीं।

शिकायत नहीं आपसे कोई,

शिकायत केवल अपने से है।

आप तो मिली बहुत पहले ही

अज्ञानी थे,  हमने खोईं।

फसल वहीं हम काट रहे हैं,

हमने मिलकर जो थीं, बोई।

मासुम सी ख़्वाहिश थी

फ़ेसबुक पर रोजगार समाचार के हवाले से सोनिया 


खटकर द्वारा प्रकाशित पोस्ट मुझे पसन्द आई आप 


भी पढ़िये-


पैर की मोच
और
छोटी सोच,
हमें आगे
बढ़ने नहीं देती ।
टुटी कलम
और
औरो से जलन,
खुद का भाग्य
लिखने नहीं देती ।
काम का आलस
और
पैसो का लालच,
हमें महान
बनने नहीं देता ।
अपना मजहब उंचा
और
गैरो का ओछा,
ये सोच हमें इन्सान
बनने नहीं देती ।
��दुनिया में सब चीज
मिल जाती है,....
केवल अपनी गलती
नहीं मिलती...
�� Some lines with deep meanings. ...
��: बुलंदी की उडान पर हो तो ,
जरा सब्र रखो।
परिंदे बताते हैं कि ,
आसमान में ठिकाने नही होते ।।
��: चढ़ती थीं उस मज़ार पर चादरें बेशुमार ,
लेकिन बाहर बैठा कोई फ़क़ीर सर्दी से मर गया।।
��: कितनी मासुम सी ख़्वाहिश थी इस नादांन दिल की ,
जो चाहता था कि.. शादी भी करूँ और ....
ख़ुश भी रहूँ ।।
��: छत टपकती है उसके कच्चे घर की , वो किसान फिर भी बारिश की दुआ माँगता है ।।
��: तेरे डिब्बे की वो दो रोटिया कही भी बिकती नहीं ,
माँ ...........
होटल के खाने से आज भी भूख मिटती नहीं ।।
��: सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढने का हुनर ,
सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है ।।
��: लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी ,
पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया ।।
��: " मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए ,
वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुये ।।
�� : कैसी लगी, अगर अच्छी लगीं हों तो औरो को भी भेज देना ।
दोस्तो आपको हमारी ये पोस्ट कैसी लगी हमे जरूर वताये और ज्यादा से ज्यादा शेयर करके अपने दोस्तो को भी पढवाये॥

Sunday, June 14, 2015

प्रेम का पथ पथरीला, टेढ़ा,

फकीरी ही जिस पर है फलती


जब प्रेमी पथ पर चल देते,

अपनी नाव स्वयं ही खेते।

साथ न कोई उनका देता, 

दुनियाँ तो बस गले ही रेते।


दुनियाँ तो लकीर पर चलती,

काँटों से हर पल ही डरती।

प्रेम का पथ पथरीला, टेढ़ा,

फकीरी ही जिस पर है फलती।

Friday, June 12, 2015

प्रेम के दुश्मन

कायर ना चल पायें संग में



प्रेम के दुश्मन, कदम-कदम पर

चलना पथ पर संभल-संभल कर

दुनियाँ पागल कहेगी, ठुकरायेगी,

हमको बढ़ना होगा जोखिम लेकर

जब अपने ही ठुकरा के कहेंगे

प्रेम को, प्रेमी ही बकवास कहेंगे

सब कुछ सहा है, और भी सहेंगे,

आप मिलो तो कर भी गहेंगे।


प्रेम के दुश्मन हैं इस जग में,

कोई न साथी है इस मग में।

सभी विरोधी बन जाते हैं,

मौत भी मिल सकती है पल में।

प्रेम की राह नहीं है जग में,

सपने भी मिट जाते पल में।

जोखिम भरी राह गढ़नी है,

कायर ना चल पायें संग में।

Sunday, June 7, 2015

मजबूरी के ये रिश्ते-नाते, मजबूरी में भी जीना है

अविश्वास का विष



मजबूरी  के ये रिश्ते-नाते, मजबूरी  में भी जीना है।

अविश्वास का विष भी प्यारे, सुधा समझकर पीना है।।

कर्तव्य पथ पर आगे बढ़

कर्म पथ की सीढ़ी चढ़

स्थिर प्रज्ञ हो आगे देख

जीवन पथ फिर से गढ़

कर्तव्य पथ पर बढ़ प्रतिपल, खून को बना पसीना है।

 अविश्वास का विष भी प्यारे, सुधा समझकर पीना है।।

अधिकार नहीं, कर्तव्य याद कर,

अपेक्षा नहीं, न ही फरियाद कर

सबको गले लगाता चल बस

निस्वार्थ नित तू परोपकार कर

कण्टक पर्वत टकराकर भी, जीवन बहुमूल्य नगीना है।

अविश्वास का विष भी प्यारे, सुधा समझकर पीना है।।

समय बिताना नहीं है हमको

उपयोगी हैं पल-पल हमको

किसकी खातिर ठहरगें हम?

साथ में चाहो, चलना तुमको

राष्ट्रप्रेमी चलना ही पथ है, जीवन प्रति पल जीना है।

अविश्वास का विष भी प्यारे, सुधा समझकर पीना है।।

Saturday, June 6, 2015

छोड़े कल की बातें

नए दौर में बढ़कर, लिख लें नई कहानी


छोड़े कल की बातें, कल की बात पुरानी।

नए दौर में बढ़कर,  लिख लें नई कहानी।।


बीत गया,  जो बीत गया,  पछताने का ना कोई मतलब।

कहा-सुना बहुत आज तक, दुहराने का ना कोई मतलब।

भिन्न राह के राही हैं हम, वायदों का,  ना कोई मतलब।

समय मिला, अवसर चूके, पछताने का ना कोई मतलब।

राष्ट्रप्रेमी अब आगे बढ़ता, साथ  चले जो वही है रानी।

                     छोड़े कल की बातें, कल की बात पुरानी।

बातों के थे शेर हम केवल, अवसर था, नहीं मिल पाये।

काम-काज का अवसर था जो, हमने केवल गाल बजाये।

वादे मिलन के किए बहुत थे, अवसर पाया पीछे धाये।

पवित्र भाव को अपवित्र समझ, मित्र आपने हम ठुकराये।

काँटों को हम गले लगाते, आप हैं कुसुमों की महारानी।

                       छोड़े कल की बातें, कल की बात पुरानी।

विदा की बेला, विदा करो, शुभकामनाएँ  स्वीकार हमारी।

मन का मीत मिले आपको, जग में पाओ  शोभा न्यारी।

साहस, प्रेम, आत्मविश्वास से, महके तुम्हारी जीवन क्यारी।

पीड़ाएँ सब हमको दे दो, आपको मिले बस सुख की यारी।

राष्ट्रप्रेमी की कठिन डगर है, आप बनें नायिका अभिमानी।

                          छोड़े कल की बातें, कल की बात पुरानी।

आमन्त्रण हैं जीवन रथ में

सुख की सेजों का साधक





हम जिस पथ के राही हैं, साथ न कोई चल पायेगा।

सुख की सेजों का साधक, साथ  हमारे क्या गायेगा?

मजबूरी का जीवन जीना,

झूठ बोल कर सच को पीना

भूत को रहस्य बनाकर साथी,

भावी पथ विश्वास कभी ना।

अच्छा कर्म करे ना भाई, फिर क्यों अच्छा दिखलाएगा?

सुख की सेजों का साधक, साथ  हमारे क्या गायेगा?

जग से कुछ भी नहीं छिपाया

जो भोगा है वही  है  गाया।

प्रेम पथ के पथिक नहीं हम,

राष्ट्रप्रेमी ने कर्तव्य  निभाया।

सच्चा साथी खोज रहे थे, कभी नहीं वह मिल पाएगा।

सुख की सेजों का साधक, साथ  हमारे क्या गायेगा?

कर्मठ व्यक्ति कर्म करें बस,

जैसा है स्वीकार करें बस।

अच्छा लगने की क्यूँ चिंता?

अच्छा केवल कर्म करें बस।

करना है जो आज करो अब, कल तो कभी नहीं आएगा।

सुख की सेजों का साधक, साथ  हमारे क्या गायेगा?

हमको तो चलना है पथ में,

आमन्त्रण हैं जीवन रथ में।

साथ चलो तो खुशी मिलेगी,

रूकेंगे नहीं, इस पनघट में।

आलस्य त्याग कर साथ चलो, चलते-चलते पथ आएगा।

सुख की सेजों का साधक, साथ  हमारे क्या गायेगा?

Wednesday, June 3, 2015

प्रेम की गंगा बहानी है

सहनशीलता ही बनी अपनी कहानी है




धैर्य ही के साथ हम रह रहे देखो आज,

                              सहनशीलता ही बनी अपनी कहानी है।

क्रान्ति का वाहक मैं, शांतिमय बना हुआ,

                              सत्य, दया, संयम और ज्ञान रूहानी है।

आप ही हो सहचरी, पारदर्शी जीवन,

                              आप ही के प्रेम की गंगा बहानी है।

आप तो अब भी रहती हमारे बिन,

                              राष्ट्रप्रेमी के हिय में यादों की हिमानी है।