Sunday, June 7, 2015

मजबूरी के ये रिश्ते-नाते, मजबूरी में भी जीना है

अविश्वास का विष



मजबूरी  के ये रिश्ते-नाते, मजबूरी  में भी जीना है।

अविश्वास का विष भी प्यारे, सुधा समझकर पीना है।।

कर्तव्य पथ पर आगे बढ़

कर्म पथ की सीढ़ी चढ़

स्थिर प्रज्ञ हो आगे देख

जीवन पथ फिर से गढ़

कर्तव्य पथ पर बढ़ प्रतिपल, खून को बना पसीना है।

 अविश्वास का विष भी प्यारे, सुधा समझकर पीना है।।

अधिकार नहीं, कर्तव्य याद कर,

अपेक्षा नहीं, न ही फरियाद कर

सबको गले लगाता चल बस

निस्वार्थ नित तू परोपकार कर

कण्टक पर्वत टकराकर भी, जीवन बहुमूल्य नगीना है।

अविश्वास का विष भी प्यारे, सुधा समझकर पीना है।।

समय बिताना नहीं है हमको

उपयोगी हैं पल-पल हमको

किसकी खातिर ठहरगें हम?

साथ में चाहो, चलना तुमको

राष्ट्रप्रेमी चलना ही पथ है, जीवन प्रति पल जीना है।

अविश्वास का विष भी प्यारे, सुधा समझकर पीना है।।

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