Saturday, May 21, 2011

स्वागत तेरा मौन !!!


स्वागत!
                 

स्वागत ! स्वागत ! स्वागत !
जो  भी  है यहां   आगत।
जीवन की    तू     सौत,
स्वागत     तेरा     मौत। 
बचपन से है हमें सिखाया,
दरवाजे पर जो भी आया
उसको हमने गले लगाया
तुझसे  डरता     कौन!
      स्वागत  तेरा मौन!
जीवन हमने बहुत जिया है,
सुधा मान के गरल पिया है।
जिस-जिस को हमने अपनाया,
नहीं किसी ने सुक्ख दिया है।
तू है दुल्हन तुझे सजा लूं,
अपने हिय में तुझे बिठा लूं।
मन अपना संगीत बजा लूं,
दूल्हा मुझसे अच्छा  कौन!
      स्वागत तेरा मौन!!
कुदरत से जो तन था पाया,
नहीं उसे वैसा रख   पाया।
नादानीं जो मैने  की थीं,
अंग-अंग है उसने  खाया।
पहन के आ दुल्हन का जोड़ा,
मैं  हूं दूल्हा चिता है  घोड़ा।
चलता हूं   अब थोड़ा-थोड़ा,
बने     बराती      कौन ?
      स्वागत तेरा मौन !!!


Thursday, May 19, 2011

सदैव वादी कहलायेगा


वादी 


हावी है हैवानियत
निरर्थक शब्द हैं लेखनी पर
पुत्र पिता को ताड़ना देता
विधर्मी धर्म की आड़ लेता
राष्ट्रभक्त राष्ट्रद्रोहियों से मात खा रहे हैं
बेटे ही मां का सिन्दूर चुरा रहे हैं
विचारों पर छाया है वाद                        
जातिवाद,सम्प्रदायवाद,
गान्धीवाद,आतंकवाद और
राष्ट्रवाद
सबको ही मानने वाले हैं वादी 
तन पर धारे हैं सुन्दर खादी 
राम के प्रति श्रद्धा नहीं किसी में
किन्तु फिर भी बेबसी में
मन्दिर बनाने,
न बनाने को चिन्तित हैं
इन्हीं से तो हम सब सिंचित हैं
यदि छोड़ दें हम वाद
कैसे बनेंगे वादी
पहन न पायें खादी
हो जायेगी हमारी बरबादी
राष्ट्रप्रेमी ठोकर न खायेगा
सदैव वादी कहलायेगा।
                                       

Saturday, May 7, 2011

अभी युद्ध विराम है केवल, समझो जीवन जीत नहीं है

हम परदेशी मीत नहीं हैं









हम परदेशी मीत नहीं हैं,
यह कविता है, गीत नहीं है ।


अभी युद्ध विराम है केवल,
समझो जीवन जीत नहीं है।।


संघर्ष सदैव ही करते आये,


तदनुकूल ही फल भी पाये।


हम सदैव ही चलते आये,


समझ यही तू मनु के जाये।


जीवन में सुन करूण पुकारें,
समझ इन्हें संगीत नहीं है।


अभी युद्ध विराम है केवल,
समझो जीवन जीत नहीं है।।


बचपन से हम कहीं न ठहरें,


लगा लिये लोगों ने पहरे।


चलना अपना काम रहा है,


पथ में आये गढ्ढे गहरे।


सबको ही सम्मान दिया है,
लेकिन करते प्रीत नहीं है।


अभी युद्ध विराम है केवल,
समझो जीवन जीत नहीं है।।


साथ हमारे तुम चल पाओ,


विपित्तयों में ना घबराओ।


साथ हमारे चल सकते हो,


कदम न पीछे जरा हटाओ।


संघर्ष किया है हमने अब तक,
पालन करते रीत नहीं है।


अभी युद्ध विराम है केवल,
समझो जीवन जीत नहीं है।।

नाना हो या नानी सबने पानी की माया जानी


पानी की माया
          

नाना हो या नानी सबने, 
पानी की माया जानी।
सबको भोजन देता पानी,
अफसर हो या बुढ़िया,रानी।
मिठाई न बने बिना पानी के,
घास उगे न बिना पानी के।
सबको पानी देता जीवन,
इसीलिए तो करते सेवन।।
एक लक्ष्य बतलाता पानी,
परमार्थ सिखलाता पानी।
कहे राष्ट्रप्रेमी कविराय, 
सबको भोजन देता पानी।
नाना हो या नानी सबने, 
पानी की माया जानी।।