पानी की माया
नाना हो या नानी सबने,
पानी की माया जानी।
सबको भोजन देता पानी,
अफसर हो या बुढ़िया,रानी।
मिठाई न बने बिना पानी के,
घास उगे न बिना पानी के।
सबको पानी देता जीवन,
इसीलिए तो करते सेवन।।
एक लक्ष्य बतलाता पानी,
परमार्थ सिखलाता पानी।
कहे राष्ट्रप्रेमी कविराय,
सबको भोजन देता पानी।
नाना हो या नानी सबने, पानी की माया जानी।।
No comments:
Post a Comment
आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.