Sunday, November 7, 2021

समय भले ही बहुत है बीता

 याद आज भी ठहरी हैं


प्रेम दिनों-दिन बढ़ता जाता, आँखें तुम्हारी गहरी हैं।

समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।।

यादों में जीते हैं हम संग।

सौन्दर्य पूरित, है अंग-अंग।

उम्र भले ही हुई पचास की,

बुद्धि और उर की जारी जंग।

मन मारतीं, उर है दबातीं, लज्जा तुम्हारी प्रहरी है।

समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।।

कब तक यूँ मारोगी मन को।

सुन्दर हो तुम, सजाओ तन को।

पास नहीं आ सकतीं माना,

बातों से हरषाओ मन को।

हम तो गाँव के गँवार रह गए, तुम बनीं अब शहरी हैं।

समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।।

करते हैं हम तुम्हारी प्रतीक्षा।

प्रेमी कभी करते न समीक्षा।

इंतजार की वेला असीमित,

प्रेम की तुमने ही दी दीक्षा।

उर की पुकार, जबाव नहीं है, जान बूझकर बहरी है।

समय भले ही बहुत है बीता, याद आज भी ठहरी हैं।।