Monday, September 5, 2011

गर होय जबरदस्ती कह दइयों बीबी भी ना चहिए


टी.वी. बनाम बीबी


गए थे लेने बीबी,साथ में मिल गई टीवी,
साथ में मिल गई टीवी,मनें बहुतेरी कीनी।


जबाब सास जी ने दीनों,छोरी कूं जरूरी टीवी,
मनें जब ना चल पायी,बीबी पीछे टीवी आगे आई।


सांच सब मानों भाई,टीवी और बीबी दोंनो,        
रविवार क्या पूरे सप्ताह,महाभारत कीनौ।


दोंनों करें लड़ाई तबीयत मेरी घबड़ानी,
मेरो सूखो कण्ठ बीबी ना देवे पानी।


कहै राष्ट्रप्रेमी समझाय,टीवी मत लइयो भइए
गर होय जबरदस्ती कह दइयों बीबी भी ना चहिए।

कौन कहेगा ये मानवता है?


मानवता


एक मानव 
गंदे और बदबूरार वस्त्रों में
अपनी अभागी रेंखाओं के हाथ पसारे
देख रहा कुदरत के नजारे                    
सूटेड-बूटेड मानव की ओर निहारे             
मानव ही मानव को दुत्कारे
पशुओं को दुलारे-पुचकारे
मानव को पग-पग फ़टकारे
स्वार्थी हो गया है प्यार
केवल पैसे वाले के पास है
केवल पैसे वाला पाता है
मानव समाज के इस क्रूर सत्य पर
हंसता हुआ आगे बढ़ जाता है
राष्ट्रप्रेमी पूछे यारों,
कौन कहेगा ये मानवता है?