Thursday, October 5, 2017

५०१ वां पोस्ट

मित्रों ब्लोगर संसार से परिचित होकर इसमें प्रवेश 

करके इस ब्लोग पर ५०० पोस्ट पूरे हो चुके हैं। यह 

सूचनात्मक ५०१ वां पोस्ट है। नियमित नहीं रहा किन्तु 

बन्द भी नहीं हुआ। इस प्रकार रुक-रुक कर यह यात्रा 

अनवरत जारी है।

"दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-२७"

दूसरी तरफ अफजल मनोज को स्पष्ट आश्वासन दे रहा था कि माया को उससे अलग होने के लिए मना लेगा। मनोज के साथ उसका सारा वार्तालाप ई-मेल के माध्यम से था क्योंकि माया के धोखे के बाद मनोज ने मोबाइल पर वार्ता बहुत कम कर दी थीं। वैसे भी मनोज को मौखिक वार्तालाप के स्थान पर लिखित संचार ही अधिक अच्छा लगता था। मनोज तो केवल यह चाहता था कि माया जिसको प्यार करती है, उसे उसके साथ रहना चाहिए। इसके लिए ही अफजल को भी तैयार कर रहा था। मनोज को तथाकथित पत्नी माया से कोई द्वेष न था। धोखे से ही सही माया मनोज की पत्नी का स्थान पा गयी थी। माया ने पत्नी के पद का धोखा देकर अपहरण किया था। हाँ! माया के लिए पत्नी का स्थान एक पद की तरह ही था, जिसे किसी प्रकार येन केन प्रकारेण प्राप्त करके जीवन भर पति को परेशान करने का लाइसेंस मिल जाता है। मनोज उससे पीछा छुड़ाना अवश्य चाहता था किन्तु किसी को भी विचारपूर्वक नुकसान पहुँचाने की प्रवृत्ति मनोज की न थी। वह औरत तो उसकी पत्नी के स्थान पर आ बैठी थी। वह तो चाहता था कि माया अपने प्रेमी अफजल के साथ शादी करके सुखी रहे। अफजल के अनुसार अफजल भी माया के साथ शादी के लिए तैयार था। अफजल के ई-मेल के अनुसार, माया का कहना था कि अफजल क्यों परेशान होता है? वह उसे अपनी पत्नी ही माने। अफजल और माया के बीच छिपे रूप में पति-पत्नी जैसे ही संबन्ध थे। किंतु अफजल के साथ-साथ माया के अन्य दो-तीन लोगों से भी इसी प्रकार के सम्बन्ध थे, ऐसा अफजल का मानना था। माया अफजल से छिपाकर चुपचाप शादी करके मनोज के साथ आ गयी। यह बात मनोज को नागवार गुजरी और वह बदला लेने पर उतारू हो गया। यही कारण था कि अफजल ने मनोज के मोबाइल को खोजकर सम्पर्क किया और ई-मेलों के माध्यम से मनोज को माया की सभी छिपी हुई सूचना देने लगा था। अफजल तो मनोज से मिलकर सारी बातें बताना चाहता था किंतु मनोज ही अफजल से मिलने से बचता रहा। कारण स्पष्ट था। अफजल व माया प्रेमी-प्रेमिका थे। पता नहीं विश्वास में लेकर दोनों ने कोई नया जाल बुना हो। इस प्रकार के त्रिकोणीय संबन्धों में प्रेमी-प्रेमिका मिलकर अक्सर पति और उसके परिवार की हत्या कर गुजरते हैं। अतः मनोज को अफजल से मिलना उचित नहीं लगा और टाल दिया।