Tuesday, March 22, 2016

एक गिलास दूध


Thursday, March 10, 2016

अति सूधो सनेह कौ मारग- अन्तिम पृष्ठ


अति सूधो सनेह कौ मारग- तृतीय पृष्ठ


अति सूधो सनेह कौ मारग- द्वितीय पृष्ठ


अति सूधो सनेह कौ मारग

बेंगलूरु से प्रकाशित पत्रिका का फ़रवरी २०१६ अंक अभी-अभी प्राप्त हुआ है। इसमें मेरा एक आलेख "अति सूधो सनेह कौ मारग" प्रकाशित हुआ है। लगभग साड़े तीन पेजों के इस आलेख की स्केन की हुई प्रति प्रस्तुत है। आशा है आप को प्रेम के सन्दर्भ में प्रस्तुत मेरे विचार आपको सच्चे प्रेम का दिग्दर्शन करा सकेंगे।

Wednesday, March 9, 2016

पैंतालीस बीत गये

मित्रो! 1986 में बी.काम. में प्रवेश के साथ ही हिसाब लिखने की 


आदत बनाई थी, जो लगातार अब तक जारी रहा। किन्तु अब जब 


हमारे जीवन का हिसाब-किताब ही गड़बड़ा गया, तो रुपये-पैसों का 


हिसाब रखना निरर्थक प्रतीत होता है! अतः अब हिसाब-किताब 


लगाना छोड़ रहे हैं- 


जीवन हमरा लुट गया, धन का रखें हिसाब?


पैंतालीस बीत गये, समय का करें हिसाब॥

जीना मुश्किल है बड़ा, आदर्शों का साथ

हमें फ़सा कर ही सही, पर जाओ तुम जीत।

फ़िर भी मीत बने रहें, यही प्रीत की रीत॥




प्रेम प्रदर्शन आडम्बर, मनुआ रखें न साफ़।

प्रेम नाम पर दुष्कर्म, ईश करे क्यूं माफ़॥




प्रेम राह कंटक भरी, जीनी पड़ती रात।

कदम-कदम हैं ठोकरें, अपने भी दे घात॥




संकल्पों के त्याग की, चोटें गहरी होत।

आत्मबल जाता रहे, दिखते केवल खोट॥




जीना मुश्किल है बड़ा, आदर्शों का साथ।

अपने भी हैं छोड़ते, पकड़ झूठ का हाथ॥



Saturday, March 5, 2016

घोषणा

मित्रोंं! दो दिन पूर्व मैंने अपना फ़ेसबुक खाता निष्क्रिय कर दिया था! अब पुनः एक बार-


 लगभग १९९० के आस-पास मैंने अपने मित्र श्री विजय कुमार सारस्वत 


के साथ दहेज के विरुद्ध निर्णय लेते हुए तय किया था कि न मैं किसी भी 


ऐसी शादी में भाग नहीं लूंगा जिसमें दहेज का लेन-देन हो रहा हो और 


इसी निर्णय के कारण मैं अपने भाई-बहनों की शादी में भी सम्मिलित 


नहीं हो पाया! किन्तु आज बिना १ रुपया लिये मेरे खिलाफ़ ही दहेज का 


मुकदमा दर्ज हो गया! अतः उस निर्णय के परिणामों से पीड़ित होकर 


आज मैं अपने को उस निर्णय से मुक्त करता हूं!