Wednesday, March 9, 2016

जीना मुश्किल है बड़ा, आदर्शों का साथ

हमें फ़सा कर ही सही, पर जाओ तुम जीत।

फ़िर भी मीत बने रहें, यही प्रीत की रीत॥




प्रेम प्रदर्शन आडम्बर, मनुआ रखें न साफ़।

प्रेम नाम पर दुष्कर्म, ईश करे क्यूं माफ़॥




प्रेम राह कंटक भरी, जीनी पड़ती रात।

कदम-कदम हैं ठोकरें, अपने भी दे घात॥




संकल्पों के त्याग की, चोटें गहरी होत।

आत्मबल जाता रहे, दिखते केवल खोट॥




जीना मुश्किल है बड़ा, आदर्शों का साथ।

अपने भी हैं छोड़ते, पकड़ झूठ का हाथ॥



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