मित्रोंं! दो दिन पूर्व मैंने अपना फ़ेसबुक खाता निष्क्रिय कर दिया था! अब पुनः एक बार-
लगभग १९९० के आस-पास मैंने अपने मित्र श्री विजय कुमार सारस्वत
के साथ दहेज के विरुद्ध निर्णय लेते हुए तय किया था कि न मैं किसी भी
ऐसी शादी में भाग नहीं लूंगा जिसमें दहेज का लेन-देन हो रहा हो और
इसी निर्णय के कारण मैं अपने भाई-बहनों की शादी में भी सम्मिलित
नहीं हो पाया! किन्तु आज बिना १ रुपया लिये मेरे खिलाफ़ ही दहेज का
मुकदमा दर्ज हो गया! अतः उस निर्णय के परिणामों से पीड़ित होकर
आज मैं अपने को उस निर्णय से मुक्त करता हूं!
लगभग १९९० के आस-पास मैंने अपने मित्र श्री विजय कुमार सारस्वत
के साथ दहेज के विरुद्ध निर्णय लेते हुए तय किया था कि न मैं किसी भी
ऐसी शादी में भाग नहीं लूंगा जिसमें दहेज का लेन-देन हो रहा हो और
इसी निर्णय के कारण मैं अपने भाई-बहनों की शादी में भी सम्मिलित
नहीं हो पाया! किन्तु आज बिना १ रुपया लिये मेरे खिलाफ़ ही दहेज का
मुकदमा दर्ज हो गया! अतः उस निर्णय के परिणामों से पीड़ित होकर
आज मैं अपने को उस निर्णय से मुक्त करता हूं!
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