प्राणी एक खिलोना है
नहीं किसी से नफरत हमको, नहीं किसी को रोना है।
जीवन तो है खेल जगत का, प्राणी एक खिलोना है।।
प्रेम मुहब्बत की, बातें हैं।
चन्द दिनों की, मुलाकातें हैं।
स्वारथ पूरा करने को फिर,
चलतीं कानूनी लातें हैं।
नहीं कोई है मित्र यहाँ पर, सबको एक दिन खोना है।
जीवन तो है खेल जगत का, प्राणी एक खिलोना है।।
नहीं है कोई अपना पराया।
स्वारथ हित ही ब्याह रचाया।
कपट के यहाँ पर जाल बिछे हैं,
झूठ का, सुंदर अंग सजाया।
धन की खातिर रिश्ते नाते, ईमान की कीमत सोना है।
जीवन तो है खेल जगत का, प्राणी एक खिलोना है।।
नहीं प्रेम की बातें करनी।
नहीं किसी की जान हड़पनी।
तुम अपने पथ जाओ प्यारी,
आजादी बस चाह है अपनी।
नहीं चाहिए हमको कुछ भी, खुद ही खुद को धोना है।
जीवन तो है खेल जगत का, प्राणी एक खिलोना है।।