Monday, April 4, 2022

ठोकर से भी हम हरषाए

 हम प्यार तुम्हें करते कितना?

समझा नहीं या समझ न पाए?

तुमने भले ही हो भरमाया?

हमने तुम्हारे गाने गाए।


प्यार तुम्हारा भले हो सौदा?

हमने समझा उसे घरौंदा।

तुम्हारी यादों में जीते हम,

तुमने भले ही प्यार को रौंदा।


तुम्हारी खुशियों से खुश होते।

मुस्काकर भी हम अब रोते।

आवाज तुम्हारी सुनने को हम,

पल पल तड़पें विचलित होते।


तुमसे वफा की चाह नहीं है।

ठुकराओ भले! आह नहीं है!

पल पल जीते यादों में हम,

तुमको कोई परवाह नहीं है।


हमने तुमसे कब कुछ चाहा?

केवल प्रेम से था अवगाहा।

तुम्हारी खुशियों की खातिर ही,

लुटकर भी करते हम आहा!


तुमने कहा, वही था माना।

तुमसे हटकर कुछ ना जाना।

विश्वास पर घात किया है,

अब भी बहाने करती नाना।


प्रेम तुम्हारी चाह  नहीं है।

धोखा हमरी आह नहीं है।

दिल तो सौंप दिया था तुमको,

तुम्हारी कोई थाह  नहीं है।


हमने तुमको प्यार किया था।

तुम्हारे प्रेमी को भी जिया था।

तुम थीं, खुद को धोखा देतीं,

हमने तुम्हारा क्रोध पिया था।


हम तो तुम्हें भुला नहीं पाए।

नित ही तुमरे गाने गाए।

तुमने ठोकर भले ही मारी,

ठोकर से भी हम हरषाए।


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