Thursday, April 14, 2022

आघात कितना भी गहरा हो

हम रिश्तों में बदी न करते 


तुमने भले ही ठगा हो हमको, हम बदले में ठगी न करते।

आघात कितना भी गहरा हो, हम रिश्तों में बदी न करते।।

तुमने भले ही हमें फसाया।

हमने तुम पर प्यार लुटाया।

नहीं उजाड़ा कभी किसी को,

प्रेमी संग है तुम्हें बसाया।

अपने बंधन काट रहे हम, तुमसे कोई हँसी न करते।

आघात कितना भी गहरा हो, हम रिश्तों में बदी न करते।।

धोखे से नहीं रिश्ते बनते।

कानूनों से विश्वास न पलते।

विश्वासघात कर प्रेम चाहतीं,

तलवारों से पुष्प न खिलते।

जिसकी थीं, उसको ही सौंपी, किसी की चीज कभी न हरते।

आघात कितना भी गहरा हो, हम रिश्तों में बदी न करते।।

समय बहुत अब बीत गया है।

हमारा नहीं कोई मीत भया है।

तुम्हारी चोट थी इतनी गहरी,

धोखा तुम्हारा जीत गया है।

कपट कपट का मित्र न होता, कपटी से भी कपट न करते।

आघात कितना भी गहरा हो, हम रिश्तों में बदी न करते।।

 


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