Sunday, April 17, 2022

सच और विश्वास जहाँ हो

वह ही रिश्ता चल पाता है


गलती को स्वीकार, सुधारे, आगे वह ही बढ़ पाता है।

सच और विश्वास जहाँ हो, वह ही रिश्ता चल पाता है।।

कर्तव्य पथ पर जो चलता है।

आकर्षण से वह बचता है।

फूलों से कोई पथ नहीं बनता,

पथिकों से ही पथ सजता है।

झूठ और कपट के बल पर, रचा भेद जो, खुल जाता है।

सच और विश्वास जहाँ हो, वह ही रिश्ता चल पाता है।।

 षडयंत्रों से परिवार न चलते।

विष से तो विषधर ही पलते।

कानूनों से नहीं, रिश्ते तो,

प्रेम और विश्वास से खिलते।

सच में से विश्वास निकलता, विश्वास से रिश्ता बन जाता है।

सच और विश्वास जहाँ हो, वह ही रिश्ता चल पाता है।।

प्रेम में कोई माँग न होती।

देने की बस चाह है होती।

स्वार्थ, लालच, लिप्सा की छाव में,

कभी न जलती प्रेम की जोती।

धन, पद, यश, संबन्ध की चाह से, प्रेम का नहीं कोई नाता है।

सच और विश्वास जहाँ हो, वह ही रिश्ता चल पाता है।।

जिसकी कोई चाह नहीं है।

अपनी कोई परवाह नहीं है।

बचकर चलना फिर भी उनसे,

जिनकी कोई थाह नहीं है।

ईर्ष्या, द्वेष, स्वारथ पूरित, प्रेम गान फिर भी गाता है।

सच और विश्वास जहाँ हो, वह ही रिश्ता चल पाता है।।



No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.