Wednesday, April 13, 2022

प्रेम ही है जीवन की सरगम

प्रेम, प्रेमी की आन है 


प्रेम ही है जीने का मकसद, प्रेम, हृदय का गान है।

प्रेम ही है जीवन की सरगम, प्रेम, प्रेमी की आन है।।

हर प्राणी की चाह प्रेम है।

हर प्राणी की आह प्रेम है।

हर प्राणी है प्रेम का भूखा,

हर प्राणी की राह प्रेम है।

प्रेम नहीं है, कानूनी बंधन, प्रेम, प्रेमी की जान है।

प्रेम ही है जीवन की सरगम, प्रेम, प्रेमी की आन है।।

प्रेम नहीं किसी को बाँधें।

प्रेम नहीं कोई स्वारथ साधे।

प्रेमी कभी कोई माँग न करता,

प्रेमी, प्रेम को बस आराधे।

प्रेम नाम पर स्वारथ साधें, वे, नहीं, प्रेम के मान हैं।

प्रेम ही है जीवन की सरगम, प्रेम, प्रेमी की आन है।।

प्रेम नाम पर जो हैं फँसाते।

खुद को ही हैं वे भरमाते।

बिना शर्त जो करें समपर्ण,

प्रेम पुजारी, प्रेमी, कहलाते।

प्रेम नाम, अधिकार माँगते, वे, नहीं प्रेम की शान हैं।

प्रेम ही है जीवन की सरगम, प्रेम, प्रेमी की आन है।।


No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.