Sunday, April 3, 2022

सबको प्रेम करने की जिद में,

 किसी को गले लगा नहीं पाए



सबको पल पल सीख दे रहे, खुद को कभी सिखा नहीं पाए।

अपनी ढपली खुद ही बजाएं, ओरों को कभी सुन नहीं पाए।

प्यार की खोज करते हैं पल पल, पास नहीं है, नहीं दे पाए,

आदर्श के, दंभ में भरकर, किसी को गले लगा नहीं पाए।।


अलग राह चलने की जिद में, साथ किसी के चल नहीं पाए।

सच के साथ चलने की जिद में, छोड़ गए सब, नहीं चल पाए।

दुनियादारी नहीं कभी सीखी, ईमानदारी की टेक लगाए;

सबको प्रेम करने की जिद में, किसी को गले लगा नहीं पाए।।


सबके साथ, नहीं चल सकते, इस सच को, कभी समझ नहीं पाए।

सबके अपने अपने पथ हैं, पथ तज, साथ में, चल नहीं पाए।

आगे बढ़कर जो भी आया, लुटते रहे हम, लूट न पाए,

सबको मित्र, हम, समझ रहे थे, किसी को गले लगा नहीं पाए।।


कविता लिखी भले ही हमने, गीत कभी कोई गा नहीं पाए।

ओरों से तो मिलते क्या हम, खुद से खुद को मिला नहीं पाए।

घाव सहे नित, विश्वासघात के, खुद को, फिर भी सुधार न पाए,

सहयोग सभी का करते हैं हम, किसी को गले लगा नहीं पाए।।


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