Tuesday, February 7, 2023

प्रेम पुजारी हैं, हम केवल

पल पल सबको प्रेम लुटाते


सबके हित में कर्म करें, बस नहीं प्रेम के गाने गाते। 

प्रेम पुजारी हैं, हम केवल, पल पल सबको प्रेम लुटाते।।

कर्तव्य पथ पर अविचल चलते।

बाधाओं से कभी न डरते।

प्रेम नाम धोखे खाकर भी,

नहीं प्रेम के पथ से हटते।

प्रेम नहीं अधिकार जताता, समर्पण से दिल जीते जाते।

प्रेम पुजारी हैं, हम केवल, पल पल सबको प्रेम लुटाते।।

प्रेमी न करते कोई दावा।

नहीं पूजते काशी-काबा।

चाहत तो वासना होती है,

प्रेम नहीं है, कोई ढाबा।

प्रेम नाम षड्यंत्र जो रचते, नफरत और घृणा ही पाते।

प्रेम पुजारी हैं, हम केवल, पल पल सबको प्रेम लुटाते।।

प्रेम की नहीं कोई है सीमा।

प्रेम नहीं, शादी का बीमा।

बदले में जो प्रेम माँगता,

वासना वह, जहर है धीमा।

प्रेमी प्रेम को सजा न चाहे, प्रेमी प्रेम को नहीं मरवाते।

प्रेम पुजारी हैं, हम केवल, पल पल सबको प्रेम लुटाते।।

प्रेम को कोई समझ न पाया।

सिर्फ प्रेम का गाना गाया।

प्रेम पात्र पर ऐसिड फेंका,

ऐसे प्रेम से, प्रेम लजाया।

पिशाच प्रेम का स्वांग रचाते, प्रेमिका के टुकड़े हो जाते।

प्रेम पुजारी हैं, हम केवल, पल पल सबको प्रेम लुटाते।।

 

Monday, February 6, 2023

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की,

  नहीं जेल, अब जेल है

                                     

चाह नहीं अब रही किसी की, सबने खेला खेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल, अब जेल है।।

कर्म कर्म के लिए करें हम।

कदम कदम हैं छले, जले हम।

नहीं किसी से कोई शिकायत,

खुद ही खुद के साथ चलें हम।

पथिकों का है आना-जाना, जीवन चलती रेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल अब जेल है।।

छिनने का कोई भय नहीं हमको।

लूट का माल, मुबारक तुमको।

षड्यंत्रों से मुक्ति मिले बस,

पी जाएंगे सारे गम को।

स्वार्थ-वासना की आँधी में, संघर्ष की रेलम पेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल अब जेल है।।

विश्वास करे, विश्वास घात है।

कर्म हैं काले, काली रात है।

तुम से, प्यारी सीख मिली है,

नीच कर्म ही नीच जात है।

राष्ट्रप्रेमी को, प्रेम,  प्रेम से, स्वारथ से ना मेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल अब जेल है।।

नहीं प्रेम की बातें करते।

नहीं किसी का सोना हरते।

जितना चाहो उतना लूटो,

लुटने से हम नहीं हैं डरते।

झूठ का इत्र मुबारक तुमको, हमको सच का तेल है।

चाह नहीं है, हमें स्वर्ग की, नहीं जेल अब जेल है।।


Sunday, February 5, 2023

पैसा ही है, सार जगत का

                        पैसे से सब खेल है

                                     


पैसा ही है, सार जगत का, पैसे से सब खेल है।

पैसे खातिर हत्या होतीं, पैसे हित ही मेल है।।

पैसे से हैं रिश्ते-नाते।

प्रेम गीत पैसे हित गाते।

पैसे के सब संगी साथी,

पैसे से बच्चे बिक जाते।

पैसा देख शादी होती हैं, षड्यंत्रों की रेल है।

पैसा ही है, सार जगत का, पैसे से सब खेल है।।

पैसे से सुविधा मिलती हैं।

पैसे से झांकी सजती हैं।

पैसे से सब स्वारथ पूरे,

पैसे से रमणी रमती है।

पैसे की ही माया देखो, होटल बनती जेल है।

पैसा ही है, सार जगत का, पैसे से सब खेल है।।

पैसा ही है, पति, पत्नी का।

पैसा ही नायक रमणी का।

राष्ट्रप्रेमी है दास प्रेम का,

मोल नहीं कोई दमड़ी का।

पैसा, प्रेमी, तुम्हें मुबारक, निकला हमारा तेल है।

पैसा ही है, सार जगत का, पैसे से सब खेल है।।