Wednesday, July 31, 2024

प्रेम का अर्थ तुम समझ न पाईं

 

 प्रेम गान ही गाती हो


हम चाहते हैं तुम्हें कितना, समझ नहीं तुम पाती हो।

प्रेम का अर्थ तुम समझ न पाईं, प्रेम गान ही गाती हो।।

प्रेम नहीं कुछ पाना होता।

प्रेम नहीं हर्जाना होता।

प्रेमी तो है समर्पण करता,

प्रेम में अहं मिट जाना होता।

प्रेम नाम स्वार्थ से पूरित, वासना से मदमाती हो।

प्रेम का अर्थ तुम समझ न पाईं, प्रेम गान ही गाती हो।।

प्रेम नहीं वश में करता है।

प्रेम नहीं सुख को हरता है।

प्रेम है कानून से ऊपर,

माँग नहीं, अर्पण करता है।

प्रेम किसी को नहीं बाँधता, जाओ जहाँ तुम जाती हो।

प्रेम का अर्थ तुम समझ न पाईं, प्रेम गान ही गाती हो।।

प्रेम कैसा? जो ऐसिड फेंके।

प्रेम नहीं, कानून को देखे।

आधिपत्य या मार डालना,

कैसे हैं? ये प्रेम के लेखे।

लुटने को तैयार खड़े हम, लुटेरी, नहीं हमारी थाती हो।

प्रेम का अर्थ तुम समझ न पाईं, प्रेम गान ही गाती हो।।


Saturday, July 27, 2024

प्रेम और अपराध का

ग्लोबल है बाजार

 चिंता कल की ना करो, खोज न कोई सार।

मुस्काकर तू प्रेम से, आगे बढ़ ले यार।।

जिसको शत्रू समझता, कल बन जाए मित्र।

जिनको प्रेमी समझता, खींचे केवल चित्र।।

सैल्फी तो नित लेत हैं, समझ न पाए सैल्फ।

मदद सभी से माँगते, नहीं किसी की हैल्प।।

प्रेम सभी से चाहते, करें प्रेम की लूट।

ऐसिड फेंकें प्रेम से, ठोकर मारें बूट।।

बढ़ी प्रेम की माँग है, आओ बेचे हाट।

मजे-मजे में धन बहुत, धोखे से हैं ठाट।।

अर्थ तंत्र है बढ़ रहा, खुले प्रेम बाजार।

जिस पर जितना धन दिखे, उतनी आँखें चार।।

कर शादी की बात ना, बदल गए हालात।

दुल्हन बुनती जाल है, दूल्हे को है लात।।

मन से मन ना मिलत हैं, मिलते हैं बस गात।

प्रेम धनी की लूट हित, कानूनों की बात।।

लूट हेतु, दुल्हन बनीं, प्रेम नाम है लूट।

प्रेम बना षड्यंत्र है, कानूनी है छूट।।

शादी कर वारिस बनें, देती हैं फिर मार।

प्रेम और अपराध का, ग्लोबल है बाजार।।

प्रेम बिके बाजार में, मोबाइल की धूम।

कीमत सबको चाहिए, पल में लेते चूम।।


Sunday, July 21, 2024

नहीं, प्रेम का गाया गाना।

प्रेम को जीया, नहीं है जाना। 


प्रेम को ही है, जीवन माना।

प्रेम को जीया, नहीं है जाना।

हमें भले ही, हो ठुकराया,

हमने सीखा, गले लगाना।

नहीं, प्रेम का गाया गाना।

प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।

नहीं चाहते, तुमको पाना।

नहीं किसी को है ठुकराना।

स्वाभिमान से जीओ प्यारी,

नहीं गाते हम प्रेम का गाना।

नहीं चाहते तुम्हें रिझाना।

प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।

नहीं तोड़ सकते हम तारे।

अपने सपने, तुम पर वारे।

तुमरी खुशियों की खातिर ही,

तुमरे प्रेमी, हमको प्यारे।

मन्द-मन्द तुम बस, मुस्काना।

प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।

हमारी खातिर, मत तुम रुकना।

हमारी खातिर, मत तुम झुकना।

आनन्द मिले, तुम वहाँ पर जाओ,

साथ हमारे, मिले, यदि सुख ना।

जिसको चाहो, उसको पाना।

प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।

बंधन में ना, तुमको बाँधा।

खुद मिटकर, तुमरा हित साधा।

जब हो जरूरत, तुम आ जाना,

तुमरे लिए है, हमारा कांधा।

तुमरे बिन, मरना, हमने माना।

प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।

तुम्हारे साथ, जीवन है झरना।

तुम्हारे साथ, नहीं है डरना।

प्रेम सदैव आनन्द बाँटता,

नहीं किसी का सुख है हरना।

सबके जीवन में सुख लाना।

प्रेम को जीया, नहीं है जाना।।


Saturday, July 6, 2024

मजबूरी में साथ न आओ

कर्म करो, और पाओ

                                              / डॉ.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

चाह है केवल इतनी मेरी, तुम आगे बढ़ती जाओ।

मजबूरी में साथ न आओ, कर्म करो, और पाओ।।

अपनी कोई चाह नहीं है।

दिल को दिल की थाह नहीं है।

पीड़ा भी सुख से सह लेते,

पीड़ा देती आह नहीं है।

स्वस्थ रहो, और मस्त रहो, मनमौजी बन जाओ।

मजबूरी में साथ न आओ, कर्म करो, और पाओ।।

मजबूर तुम्हें, नहीं करेंगे।

हमने किया, हम ही भरेंगे।

प्रेम कभी भी नहीं बाँधता,

खुश रहो, हम सब सह लेंगे।

चाह नहीं, कुछ पाने की, जो चाहो तुम पाओ।

मजबूरी में साथ न आओ, कर्म करो, और पाओ।।

इच्छा कोई शेष नहीं है।

तुम्हारे लायक वेश नहीं है।

चाहत अपनी पा लो बढ़कर,

हमारे पास कुछ शेष नहीं है।

हमको नहीं कोई शिकायत, जहाँ चाहो वहाँ जाओ।

मजबूरी में साथ न आओ, कर्म करो, और पाओ।।

पाने की कोई चाह नहीं है।

देने को कुछ खास नहीं है।

स्वस्थ रहो, बस यही कामना,

प्रेम मरा, अहसास नहीं है।

अब हम नहीं रोकेंगे तुमको, जिसको चाहो, जाओ।

मजबूरी में साथ न आओ, कर्म करो, और पाओ।।