Wednesday, November 1, 2017

"दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-२८‌"

मनोज का अफजल से ई-मेलों का आदान-प्रदान प्रारंभ हुआ। दूसरी तरफ माया भी अफजल से लगातार बातें करती रहती थी। माया और अफजल की बातों के कारण मनोज के फोन का बिल हजारों मंे आने लगा था। मोबाइल पर भी महीने में एक हजार से अधिक चार्ज हो ही जाता था। किंतु मनोज ने माया को भी छूट दे दी थी और अफजल को भी कह दिया था कि उसे उनकी बातों से कोई आपत्ति नहीं है। वह आराम से बातचीत करे और ऐसा रास्ता निकाले कि माया उसके साथ शादी करने को तैयार हो जाय। मनोज केवल दिखावटी शादी का कोई मतलब नहीं समझता था। दो प्रेमियों को जुदा करने वाली शादी का क्या मतलब है? जबकि शादी के बाद भी दोनों एक-दूसरे के लिए लगाव अनुभव करते हों। इसी बीच महिलाओं का करवा चैथ का व्रत का समय आया। मनोज ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि वह इस प्रकार की व्यर्थ की परंपराओं में विश्वास नहीं रखता और माया को उस व्रत को नहीं रखना चाहिए। वैसे भी जब उनमें वास्तविक रूप से पति-पत्नी के संबन्ध थे ही नहीं, तो व्रत के ढकोसले का क्या मतलब? मनोज व उसका बेटा अक्सर भूखे सो जाते थे। ऐसी स्थिति में करवा चैथ का व्रत रखना भी एक बहुत बढ़ा नाटक करना ही था। माया तो नाटक करने में ही विश्वास रखती थी। उसने तो शादी भी एक नाटक के रूप में की थी। उसे मनोज की कोई बात क्यों माननी थी। माया के पास व्रत रखने के लिए उसका प्रेमी अफजल तो था ही। करवा चैथ वाले दिन मनोज के क्वाटर में उसकी इच्छा के विरूद्ध व्रत का नाटक हो रहा था। मनोज के लिए यह असहनीय था, इसी तनाव को लेकर मनोज अपनी ड्यूटी पर गया। खाना खाने का तो कोई मतलब ही नहीं था। मनोज तनाव में खाना नहीं खा पाता था। दूसरी ओर मनोज जैसे ही अपनी ड्यूटी पर गया, माया का सबसे पहला फोन अफजल के लिए ही था। उसने उसे बताया कि वह उसके लिए करवा चैथ का व्रत रह रही है। यह तथ्य अफजल ने भी मनोज को बताया कि हाँ! माया ने उसे बताया था। अफजल माया की पसन्द ना पसन्द सब जानता था। अतः मनोज को मेल किया था कि आप उसे जलेबी लाकर दे देना, गिफ्ट हम दे देंगे।