Saturday, December 27, 2014

जख्मी दिल दिखाने का, एक मौका देना

5.08.2007

कभी तेरे शहर में आऊँगा मुसाफिर की तरह
बस, एक बार, मुलाकात का, एक मौका देना।
जुदा हो के तुझसे भटका हूँ किस तरह,
जख्मी दिल दिखाने का, एक मौका देना।
तन्हाइयों में सांसे, लेता था किस तरह,
एक बार तुम्हें बताने का,एक मौका देना।
तेरी गलियों में गाऊँगा, शायर की तरह,
एक बार घर में आने का, एक मौका देना।
खुशियों में जानेमन, ना काँटा बनूँ, इस तरह,
मुझे भी मुस्कराने का, एक मौका देना।

Friday, December 26, 2014

उम्मीद है खुश् होंगी आप

5.06.2007

क्षणभर को लहर ने भिगोया
था रावी का किनारा
वर्षो की प्रतीक्षा
डुबकी लगाने को
गहराई में उतरा
तुम्हारा हाथ पकड़ा
न तुम डूबी, न मुझे डूबने दिया
स्नेह नीर को
गन्दा करार देकर
न केवल मुझको
कीचड़ में ढकेल दिया
वरन् स्वयं भी
जहाजों के आकर्षण में
भंवरों में फंस गईं
काश! तुम्हें भंवरों से मुक्त कर पाता।

5.07.2007

दुनियाँ में नहीं बुझती
नेह की प्यास
यहाँ दिखता 
हर चेहरा उदास
हम तो जी रहे हैं
सिर्फ आपकी यादों को ले
उम्मीद है
खुश् होंगी आप
प्रेम की सुगंध से सुगंधित
चहुँ ओर बिखेरती होंगी हास।

Friday, December 19, 2014

बजी अन्तर की शहनाई आस भरी

5.05.2007

गहराई असीमित अंधकार भरी
हाहाकार हरक्षण चीत्कार भरी
खतरों से हताश था चला जाता
आई थी फुहार एक आश भरी

मरूस्थल की रेत मरूमरीचिका भरी
कीचड़ के दल-दल में नहीं गागर भरी
जैसे सागर का रमा ने छुआ गात
बजी अन्तर की शहनाई आस भरी

Thursday, December 18, 2014

मैं तुम्हें फिर मिलूँगा

5.04.2007

मैं तुम्हें फिर मिलूँगा।
कब?
कहाँ?
कैसे?
न मुझे मालुम
न तुमको।

मैं तुम्हें फिर मिलूँगा।
साल?
दो साल?
या युगों के बाद?
न मुझे मालुम
न तुमको।

मैं तुम्हें फिर मिलूँगा।
जवानी?
प्रोढ़ावस्था
या वृद्धावस्था में?
न मुझे मालुम
न तुमको।

मैं तुम्हें फिर मिलूँगा।
शारीरिक?
मानसिक?
या आत्मिक रूप से?
न मुझे मालुम
न तुमको।

मैं तुम्हें फिर मिलूँगा।
चेतन?
अवचेतन?
या अचेतन?
न मुझे मालुम
न तुमको।

मैं तुम्हें फिर मिलूँगा।
नियोजित?
अनियोजित?
या अचानक?
न मुझे मालुम
न तुमको।

मुझे मालुम है
वश इतना
एक ना एक दिन
एक ना एक पल
मैं तुम्हें फिर मिलूँगा।
तुम भले ही
पहचानने से इन्कार कर देना
कुशल व्यापारी की तरह।

Monday, December 15, 2014

शीतल आग में जलते नित हम, आप अंगारों को भोग रहे हैं

5.02.2007
हर खत पर खामोश चाहत को दबा रही हो।
हर मुस्कराहट में आप आँसू छिपा रही हो।
ना पा सके आपको, कोई गिला नहीं हमको,
दोस्त बनकर क्यूँ? मौत की दवा पिला रही हो।

तुम अपना परिवार संभालो, हम भी तो उसमें ही आते।
मजबूरी में हुईं बेवफा, हम अब भी तुमरे गाने गाते।
तुम हर पल हो साथ हमारे, भले शरीर से पास नहीं हो,
आओ बंधकर आलिंगन में, चुंबन दे दो, दो मदमाते।

5.03.2007
एक बार प्रिय एक बार बस, अपने आलिंगन में बांधो।
गले लगा लो एक बार वश, एक बार बांहों में बांधो।
दिल है तुम्हारा जान भी ले लो, अधरामृत वश हमें पिला दो,
जो तुम चाहो वही करेंगे, एक बार नजरों में बाँधों।

हमें नहीं है अपनी चिन्ता आपकी तड़पन भोग रहे हैं।
संयोग में वियोग आपको शोभित, हम वियोग ही भोग रहे हैं।
नहीं बना सके आपको अपना, हममें ही कुछ कमी रही है।
शीतल आग में जलते नित हम, आप अंगारों को भोग रहे हैं।

दिल में तो बसी हुई हो, आप से, होगी कब मुलाकात हो

5.01.2007

आपने हमको जिलाया, आप ही अब मौत भी दे दो।
साथ नहीं दे सकतीं तो बस अपने हाथों विष ही दे दो।
आप रहो खुश, मिली है मंजिल, पीओ जी भर रस का प्याला,
इस दुनियाँ से हमें विदा कर, तन्हाई से मुक्ति दे दो।

शरीर से ही दूर हो केवल, दिल से हर पल साथ हो।
क्षण भर भी ना भूलें हम, दिन हो या फिर रात हो।
आप ही प्रेरणा प्रेरित करतीं, आगे तब ही हम बढ़ पाते,
दिल में तो बसी हुई हो, आप से, होगी कब मुलाकात हो।

Sunday, December 14, 2014

पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी

बात बड़ी ही अजीब है,
                      रोशनी विश्वकर्मा

बात बड़ी ही अजीब है,  दोस्त 
मैं तुम्हारी बात बनाने का इरादा करती हूँ,
पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी 
मुझे दो कदम पीछे धकेल देती है I 
मेरी चाहत मुझे ये कहती है ,
तुम्हे चाहने की एक कोशिश करूँ ,
मन में उठती तो है , 
तुम्हारी चाहत की तरंगे ,
पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी ,
पल भर में शांत कर देती है, 
मेरे  मन की उठती उमंगें I 
करना चाहती हूँ तुमसे प्यार, 
पाना चाहती हूँ तुमसे दुलार ,
चाहती हूँ मना लो मुझे ,
जब भी हो जाऊँ मैं नाराज़ ,
पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी 
धकेल देती है मुझे दो कदम पीछे.
थाम कर हाथ तुम्हारे  ,
चाहती हूँ पार करना ,
जिंदगी के उबड़ खाबड़ रास्ते I 
पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी 
ले जाती है मुझे तुमसे दूर I 
मन के किसी कोने में ,
जा कर  छिप जाती है,
बचपन सी एक इच्छा ,
लग कर तुम्हरे सीने से ,
बांध लूँ तुम्हारे  सांसों की 
डोरी से अपनी सांसे ,
सुन लूँ तुम्हारे धडकनों की संगीत I 
पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी 
 मुझे तुमसे दूर जाने को कह देती है,
पर, क्या करूँ अपने दिल का ,
तुम्हरी बाँहों में आने को ,
मचल उठता है I 
पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी,
झटक देती है मुझे दूर से ही  I 
काश मना पाती मैं तुम्हारे दिल को .
खोल दो गिरह अपने मन का 
अंदर आने का बता दो रास्ता ,
समा जाने दो मुझे अपने अंदर इस तरह ,
फूल और सुगंध हो जिस तरह I 
पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी,
दूर न कर दे मुझे तुमसे 
कही ऐसा न हो ,
ढूढ़ते रह जाएँ तुम और मैं 
एक दूजे की परछाई भी न मिले ,
पर तुम और तुम्हारी नाराज़गी। 
 

जिस राह पर आप चलेंगे, खुद को वहीं विछायेंगे

4.29.2007

गर्मी के अवकाशों का प्रिय आनन्द आप लेते होंगे।
आनन्द और शान्ति के साथ, परिवार में आप रहते होंगे।
सोच-सोच हम खुश होते हैं, आप तो खुश होंगे हर पल,
तन्हाई में हम हर क्षण हैं, कभी तो याद करते होंगे।

समाचार भी यदि पा जाते, हम अपने को क्यूँ तड़फाते।
आपकी खुशियों से ही कुछ पल, अपने आपको हम बहलाते।
पुष्पित होंगी, फल भी लगेगा, शायद हमें भी दिखलाओगी,
तमन्ना यही बस देख सकें हम, गोद आपकी दुलराते।

4.30.2007
भूल से भी यदि हम, यादों में आपकी आयेंगे।
ध्यान से यदि देखोगे तो, हमें अपने पास ही पायेंगे।
सितम आपने किया ही क्या है? कितना भी ठुकरायेंगे।
जिस राह पर आप चलेंगे, खुद को वहीं विछायेंगे।

संग-साथ को पाप कहा, हमें धोखेबाज कह सकती हो।
हमने तो बस ताप सहा है, जितना चाहो दे सकती हो।
आगे कुआ, पीछे खाई, आपने हमको जहाँ है छोड़ा,
पथ तो सारे बन्द हमारे, मुस्कराहट तो दे सकती हो।

Tuesday, December 9, 2014

आप कहेंगे हम जी लेंगे, आपकी खातिर मर जायेंगे

4.28.2007

क्या सचमुच जान आपके दरश नहीं कर पायेंगे।
अपने ही उस गात का कभी, परस नहीं कर पायेंगे।
बस एक बार है दिल की रानी अपना चेहरा हमें दिखा दो,
आप कहेंगे हम जी लेंगे, आपकी खातिर मर जायेंगे।

एक बार आ अंक में बैठो रूप आपका पी जायेंगे।
अधरों का बस जाम पिला दो, मरते हुए भी जी जायेंगे।
गोल उभारों की धड़कन से, जब आप हमें धड़कायेंगे।
हम तो आपके हो ही चुके हैं, आप हमारे हो जायेंगे।

Sunday, December 7, 2014

आपके अधरों के सिवा कोई जाम ना भाए हमें

4.27.2007
प्यार किया है, सौदा नहीं किया, जिसको बदला जा सकता हो।
दिल दिया है, कोई वस्तु नहीं दी, जिसको खरीदा जा सकता हो।
आप तो दिल के ही सौदागर, सस्ता खरीदा, लाभ ले बेचा,
प्रेम किया था, चाहा न कुछ भी, जिसको सहेजा जा सकता हो।

यादें हैं आपकी बस नींद कहाँ आए हमें।
आपके अधरों के सिवा कोई जाम ना भाए हमें।
भूख और प्यास हमारी, आप ले गईं चलते-चलते,
आपके कर कमलों के बिना, खाना कहाँ भाए हमें।

Saturday, December 6, 2014

आशिक हैं आपके जानेमन, कोई शैतान तो नहीं

4.26.2007
आप हमारी रहीं प्रेरणा, अब भी प्रेरित करती हो।
शिक्षार्थी हैं आपके हम तो, अब भी शिक्षित करती हो।
भटक रहे हम, ले नाम लवों पर, पल-पल जीवित करती हो।
आप नहीं, है प्यार आपका, सपनों में, हर रात उतरती हो।

बता देना, हमारे जमीं पै होने से आप परेशान तो नहीं।
बता देना, आपके शुकून के लिए हम हैवान तो नहीं।
यदि अन्त चाहो हमारा, मुस्करा के जहर पिला दो।
आशिक हैं आपके जानेमन, कोई शैतान तो नहीं।

Friday, December 5, 2014

आँखों से हमारी नींद तो, आप चुरा ले गईं

4.25.2007

आँखों से हमारी नींद तो, आप चुरा ले गईं।

आपकी यादों में तड़पें, आप सजा दे गईं।

सोती रहो आप अपने प्रियतम् की बाँहों में,

अकेली जिन्दगानी का, हमें मजा दे गईं।

जिन्दा रहें या मुर्दा, हम आपकी अमानत हैं।

आपकी यादों के घेरे में, हम सही सलामत हैं।

सिर्फ आपके लिए, अपने आप को रख्खे हुए,

कहें नहीं आप कर दी, अमानत में खयानत है।

Wednesday, December 3, 2014

दुनियाँ में मेरे हमदम, कुछ ऐसे भी फूल खिले

4.24.2007
बस मुश्किल यही केवल, आपसे मुलाकात नहीं।

आपकी यादों से मरहूम, हमारी कोई रात नहीं।

हमारे जीने के लिए तो, आपकी यादें ही हैं काफी,

आपकी खुशबू तो है, बस आपका हाथ नहीं।।

राह आपकी चलते हैं हम, आपका केवल साथ नहीं।

कटींली, तीखी धूप में, कुम्लाये, आपका गात नहीं।

दुनियाँ में मेरे हमदम, कुछ ऐसे भी फूल खिले,

जीवन बख्शा खुदा ने उनको, लेकिन खुशबू का साथ नहीं।।