Sunday, December 7, 2014

आपके अधरों के सिवा कोई जाम ना भाए हमें

4.27.2007
प्यार किया है, सौदा नहीं किया, जिसको बदला जा सकता हो।
दिल दिया है, कोई वस्तु नहीं दी, जिसको खरीदा जा सकता हो।
आप तो दिल के ही सौदागर, सस्ता खरीदा, लाभ ले बेचा,
प्रेम किया था, चाहा न कुछ भी, जिसको सहेजा जा सकता हो।

यादें हैं आपकी बस नींद कहाँ आए हमें।
आपके अधरों के सिवा कोई जाम ना भाए हमें।
भूख और प्यास हमारी, आप ले गईं चलते-चलते,
आपके कर कमलों के बिना, खाना कहाँ भाए हमें।

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