Monday, December 15, 2014

दिल में तो बसी हुई हो, आप से, होगी कब मुलाकात हो

5.01.2007

आपने हमको जिलाया, आप ही अब मौत भी दे दो।
साथ नहीं दे सकतीं तो बस अपने हाथों विष ही दे दो।
आप रहो खुश, मिली है मंजिल, पीओ जी भर रस का प्याला,
इस दुनियाँ से हमें विदा कर, तन्हाई से मुक्ति दे दो।

शरीर से ही दूर हो केवल, दिल से हर पल साथ हो।
क्षण भर भी ना भूलें हम, दिन हो या फिर रात हो।
आप ही प्रेरणा प्रेरित करतीं, आगे तब ही हम बढ़ पाते,
दिल में तो बसी हुई हो, आप से, होगी कब मुलाकात हो।

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