4.25.2007
आँखों से हमारी नींद तो, आप चुरा ले गईं।
आपकी यादों में तड़पें, आप सजा दे गईं।
सोती रहो आप अपने प्रियतम् की बाँहों में,
अकेली जिन्दगानी का, हमें मजा दे गईं।
जिन्दा रहें या मुर्दा, हम आपकी अमानत हैं।
आपकी यादों के घेरे में, हम सही सलामत हैं।
सिर्फ आपके लिए, अपने आप को रख्खे हुए,
कहें नहीं आप कर दी, अमानत में खयानत है।
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