Thursday, March 19, 2009

नव विक्रम संवत २०६६ की शुभकामनाये

सभी मित्रों को

नव विक्रम संवत २०६६ की शुभकामनाये


नव विक्रम संवत

शुभमय मधुमय मंगलमय हो,निज हृदय कामना करता हूँ।

नव-विक्रम संवत का पल-पल,मैं तुम्हें समर्पित करता हूँ।
निज ज्योति से दीप जलाते रहो,कुरुचि में सुरुचि जगाते रहो।

इस संवत की भी पुकार यही,तुम ज्ञान की गंगा बहाते रहो।


कुरुचि मिटे हर मन की,सुरुचि जगे जन-जन की।

पूरी हो अभिलाश हमारी ।आत्म-तृप्ति हो तन-मन की।
मधु, स्नेह, दया, उदारता,हृदय बस जाये समरसता।

नव सौभाग्य आदित्य उदित हो,नव संवत सबको मित्र मुदित हो।

नव संवत हो मंगलमय

नव संवत मंगलमय, हर दिन खुशहाली लाए।

तन-मन रहे प्रफुल्लित ,समृद्धि परिवार में आए।

उर हो शुभ -भावों से पूरित,मन-मयूर तुम्हारा नाँचे,

हरे-भरे आँगन में तुमरे, सौन-चिरैय्या गीत सुनाए।


नव संवत शुभ हो

2066 से हमें आस, आतंक का प्रसार रूके।

विवके हो जाग्रत सभी का, नहीं आनन्द प्रचार रूके।

संकीर्णताएँ मिटें सभी, बन्धुत्व न झुके कभी,

चहुँ ओर हो विजय, सत्य न कभी झुके।

शुभ हो आपको परिवार, राष्ट्र , विश्व को।

नव-संवत का हर पल, शुभ हो गुरू शिष्य को।

कथनी-करनी एक हो, मार्ग हमारा नेक हो,

उर-बुद्धि हों सन्तुलित, पायें सभी लक्ष्य को।

Wednesday, March 4, 2009

यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।

यदि चाहो आतंक मिटाना


एक राह से नहीं रूकेगा, हर-राह पर चलना होगा।

यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।

आतंक नहीं है, नई चीज,युगों-युगों से चलता आया।

प्रति-पल जगकर आगे बढ़,सुरक्षित अपना देश बनाया।

आतंक-रावण हावी है फिर, युवा-राम को जगना होगा।

यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।

बम का ही आतंक नहीं है,शोषण भी आतंक मचाता।

नारी भी आतंकित होती,जबरन नर, रंगरेली मनाता।

द्रोपदी चीर-हरण हो रहा, श्याम को फिर से आना होगा।

यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।

व्यवस्था, अव्यवस्था कर रही,प्रशासन ही नाकारा हो रहा।

भ्रष्टाचार में आकंठ डूबकर,अधिकारी है जेब भर रहा।

भ्रष्टाचार मिटाकर जड़ से, प्रशासन को सुधरना होगा।

यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।

जनतंत्र को भीड़तंत्र कर,राजनीति आतंक कर रही।

हिन्दी-मराठी झगड़ा करके,देश को ये, कमजोर कर रही।

जनता को अब जगकर खुद ही, नेताओं को कसना होगा।

यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।

अपनी रक्षा सुदृढ़ करके,पड़ोसियों को कसना होगा।

राष्ट्रभाव हर हृदय जगाकर,जन-जन जाग्रत करना होगा।

प्रेम-रंग में रंगकर सबको, अपनत्व का भाव जगाना होगा।

यदि चाहो आतंक मिटाना, मिलकर आगे बढ़ना होगा।।