गुरु हमारे युग निर्माता
कवि- नसीब सिंह, कक्षा-१२ विग्यान वर्ग
जवाहर नवोदय विद्यालय,
खुंगा-कोठी, जींद(हरियाणा)
गुरु हमारे युग निर्माता, सच के ग्याता.
दिल से कभी ना इनका आदर घटाया कीजिए.
मात-पिता से भी है ऊंचा दर्जा इनका,
भूल से भी न इनका दिल दुखाया कीजिए.
पल-पल कदम-कदम पर जो बने तुम्हारा सहारा,
उनके उपकारों को कभी ना भुलाया कीजिए.
नही है कोई भी उत्तम-स्थल गुरु चरणों से,
हरदम अपना मस्तक चरणों में झुकाया कीजिए.
हैं उन्हें उम्मीदें, तुमसे भी कहीं ज्यादा,
मेहनत कर उन सपनों को, कुछ तो सवांरा कीजिए.
गुरु-शिष्य रिश्ता होता है पवित्र और कोमल,
इस प्यारे रिश्ते को ना, ठेस पहुंचाया कीजिए.
गर ठेस पहुंचे तुम्हारे कारण उन्हें जरा भी,
कोशिश कर, ऐसी गलती ना दुबारा कीजिए.
दिन-रात जो लगे रहते हैं राष्ट्र-सेवा में,
उनकी भी सेवा बारे, कुछ तो विचारा कीजिए.
छोटी सी जिन्दगी में मोके ना मिलेंगे बार-बार,
हो सके तो इनका कुछ आशीर्वाद कमाया कीजिए.
जिन्होंने अमृत-वचनों से, हमेसा तुम्हें सिखाया,
’नसीब’ ऐसी हस्तियों को, दिल में बसाया कीजिए.
कवि- नसीब सिंह, कक्षा-१२ विग्यान वर्ग
जवाहर नवोदय विद्यालय,
खुंगा-कोठी, जींद(हरियाणा)
गुरु हमारे युग निर्माता, सच के ग्याता.
दिल से कभी ना इनका आदर घटाया कीजिए.
मात-पिता से भी है ऊंचा दर्जा इनका,
भूल से भी न इनका दिल दुखाया कीजिए.
पल-पल कदम-कदम पर जो बने तुम्हारा सहारा,
उनके उपकारों को कभी ना भुलाया कीजिए.
नही है कोई भी उत्तम-स्थल गुरु चरणों से,
हरदम अपना मस्तक चरणों में झुकाया कीजिए.
हैं उन्हें उम्मीदें, तुमसे भी कहीं ज्यादा,
मेहनत कर उन सपनों को, कुछ तो सवांरा कीजिए.
गुरु-शिष्य रिश्ता होता है पवित्र और कोमल,
इस प्यारे रिश्ते को ना, ठेस पहुंचाया कीजिए.
गर ठेस पहुंचे तुम्हारे कारण उन्हें जरा भी,
कोशिश कर, ऐसी गलती ना दुबारा कीजिए.
दिन-रात जो लगे रहते हैं राष्ट्र-सेवा में,
उनकी भी सेवा बारे, कुछ तो विचारा कीजिए.
छोटी सी जिन्दगी में मोके ना मिलेंगे बार-बार,
हो सके तो इनका कुछ आशीर्वाद कमाया कीजिए.
जिन्होंने अमृत-वचनों से, हमेसा तुम्हें सिखाया,
’नसीब’ ऐसी हस्तियों को, दिल में बसाया कीजिए.