विजयादशमी पर्व मनाएं
साहस, शौर्य, पराक्रम से, आतंक-मुक्त हम विश्व बनाएं।
भ्रष्ट  तंत्र पर विजयी होकर, विजयादशमी पर्व मनाएं॥
                फूंक रहे हम केवल पुतलाजन-जन में रावण बैठा है।
अपहरण, हत्या, बलात्कार में,
पहचानों राक्षस बैठा है।
अंतर्मन की ज्योति जलाकर, नारी का सम्मान बढ़ाएं।
भ्रष्ट तंत्र पर विजयी होकर, विजयादशमी पर्व मनाएं॥
शिक्षा में भी घपला होता
मजबूरी में बचपन खोता।
छात्र ही मानव-बम बन जाते,
गुरू द्वारा देह शोषण होता।
भौतिक नहीं, आध्यात्म जगाकर, शिक्षकों का मान बढ़ाएं।
भ्रष्ट तंत्र पर विजयी होकर, विजयादशमी पर्व मनाएं॥
कितने रावण? नहीं है गिनती
राष्ट्रप्रेमी करता है विनती।
लोकतंत्र में तंत्र हुआ हावी,
सरकार नहीं चीत्कार है सुनती।
देश के हित में जीना सीखें, विश्व गुरू फिर से बन जाएं।
भ्रष्ट तंत्र पर विजयी होकर, विजयादशमी पर्व मनाएं॥
 
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