Monday, October 3, 2011


जन-जन जीवन ज्योति जले

दीप-उत्सव  का दीप जले।
जन-जन जीवन ज्योति जले॥


आतंक पर सद्भावना विजयी
दुष्कृत्यों पर सुकृत्य हों जयी
पुतले और पटाखे छोड़
डाले हम परंपरा नयी
भ्रष्टाचार पर घात चले।
जन-जन जीवन ज्योति जले॥


अंतर्मन रसधार बहे
वाणी से भी प्यार बहे
व्यक्ति और परिवार तुष्ट हो
विश्व में शांति बयार बहे
संबंधों की बर्फ गले
जन-जन जीवन ज्योति जले॥


ज्योति आए, तम मिटे
ज्योति से, अंतर-तम मिटे
प्रेम ज्योति, उर घट भरे
जन-मन से जब अहम मिटे
जन-जन का जब श्रम फले
जन-जन जीवन ज्योति जले॥

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