सच से भय लगता है जिसको
जिसने चाहा लूट लिया है।
हमने सब स्वीकार किया है।
खट्टे मीठे अनुभव अपने,
पल-पल हमने खूब जिया है।
नहीं किसी से हमें षिकायत।
पढ़ी बहुत थीं, हमने आयत।
हमको अपनी धरती प्यारी,
नहीं जाना है हमें विलायत।
साथ हमारे जो भी आया।
हमने उसको गले लगाया।
हम हैं राही राह ही प्यारी,
राह ने ही बस साथ निभाया।
साथ हमारे कौन चलेगा?
कष्टों से झोली कौन भरेगा?
अभावों में हम आनंद पाते,
प्रेम की खातिर कौन सहेगा?
सुविधाओं से प्रेम है जिसको।
धन का कोष प्रिय है जिसको।
हमारे साथ ना चल पाएगा,
सच से भय लगता है जिसको।

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