Wednesday, October 15, 2025

नर-नारी मिल दीप जलाएं।

 नर-नारी मिल दीप जलाएं

            


दीपावली पर दीप जलाएं।

अंतर्मन को हम महकाएं।

सहयोग, समन्वय व सौहार्द्र से

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


शब्द वाण से दिल न जलाएं।

नफरत को हम जड़ से मिटाएं।

इक दूजे का हाथ थाम कर,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।



दिल से दिल मिल गीत सुनाएं।

खुद सीखें, औरों को सिखाएं।

ज्ञान को व्यवहार में लाकर,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


आचरण अपना शुद्ध बनाएं।

भूल किसी को नहीं लुभाएं।

धोखे, कपट, षड्यंत्र से बच,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


पथ में सबका साथ निभाएं।

जीवन खुषियों से महकाएं।

धोखे और कपट से प्यारे,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


अपने-अपने गीत न गाएं।

कमजोरों को ना ठुकराएं।

अकेले-अकेले चलोगे कब तक?

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


साथ पाएं और साथ निभाएं।

नहीं किसी को हम ठुकराएं।

कमों के फल अवष्य मिलेंगे,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


जल, जंगल और जमीन बचाएं।

मानवता को मिल महकाएं।

नारी का सम्मान करें हम,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।



कोई पुतला नहीं बनाएं।

कोई पुतला नहीं जलाएं।

इक दूजे को प्रेम करें

इक दूजे को गीत सुनाएं।


केवल पूजा नहीं करेंगे।

नहीं किसी का चीर हरेंगे।

षिक्षा और सयंम के द्वारा,

मिल सबको भय मुक्त करेंगे।


साथ जीएं और साथ निभाएं। 

अपने-अपने गीत न गाएं।

समझ,समन्वय और सयंम से,

विजयादषमी पर्व मनाएं।


प्रकृति को था राम ने पूजा।

सभी एक हैं, नहीं काई दूजा।

पर्यावरण के सभी घटक हैं,

सिंह हो या फिर हो चूजा।


शक्ति साधना करनी सबको।

मिल विकास करना है हमको।

नारी का नर करे समर्थन,

नारी शक्ति देती है नर को।


नव देवी तक नहीं हों सीमित।

हर देवी का सुख हो बीमित।

षिक्षा, शक्ति, अवसर बेटी को,

मिल कर करेंगे,विकास असीमित।


पूजा के वष गीत न गाएं।

देवी तक सुविधा पहुँचाएं।

नारी विजय का पथ प्रषस्त कर,

विजया दषमी पर्व मनाएं।


कुप्रथाओं से मुक्त आज हों।

नारी से ही सभी काज हों।

नर-नारी नहीं भिन्न-भिन्न हैं,

दोनों से सब सजे साज हैं।


मिलकर आगे बढ़ना होगा।

प्रेम दोनो का गहना होगा।

इक-दूजे का हाथ थामकर,

आनंद की सीढ़ी चढ़ना होगा।


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