जन सेवा के दीप जलाएं
राम जी के आदर्श संजोएं।
कर्म करें और खुशियाँ बोएं।
सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह,
ब्रह्मचर्य को साध के सोएं।
नहीं किसी का दिल है दुखाना।
महनत कर है खाना खाना।
नहीं किसी के जाल में फसना,
नहीं किसी को है ठुकराना।
रूठे हुओ को हमें मनाना।
प्रेम से दिल के दीप जलाना।
अपने अपने गान छोड़कर,
समूह गान हम सबको गाना।
प्रतीकों से है आगे बढ़ना।
नहीं किसी पर दोष है मढ़ना।
छल, कपट, नफरत को तज,
निष्ठा, विश्वास की सीढ़ी चढ़ना।
नहीं किसी को विजित है करना।
नहीं किसी का मान है हरना।
हार-जीत से आगे बढ़कर,
सबका दिल खुशियों का झरना।
राम के केवल गीत न गाएं।
आदर्शों को हम अपनाएं।
नाम छोड़कर दीपावली पर,
जन सेवा के दीप जलाएं।
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