Monday, December 31, 2012

रामप्रीत जी की नव वर्ष



नए साल में नई सोच का ही मात्र प्रसार हुआ,
भूल पुरानी बातों को खुशियों का संसार हुआ ,
नई तरंगे, नई उमंगे जीवन का आधार बनीं ,
हर तरफ सुहाने मौसम का सिर्फ आसार हुआ ।
चकाचैंध की बनी चैकटी सबके घर आँगन में ,
मस्त होकर झूम रहे हैं लोग जीवन के सावन में,
हँसी वसुन्धरा भारत की जब खिले फूल उपवन में ,
हर द्वार पै खुशी मना लो चारों ओर प्रचार हुआ ।
किरण सुनहली सूरज की, जहाँ पहली बार पड़ी ,
चमक उठी होठों की लाली रम्भा जिसके द्वार खड़ी ,
मंद हँसी बाँकी चितवन में प्यार का एहसास हुआ ,
बाल मन सुरभित होता है ,उनके लिए उपकार हुआ।
हिन्दी, हिन्दुस्तान का नारा जिसमें गूँजा सदियों से ,
वो ही असली भारत वासी भरत बना है सदियों से ,
लहराता है जिसका झण्डा आसमान में खुशियाँ लेकर,
खिला उठा है चेहरा सबका ‘आनन्द’ को एतबार हुआ।
दिनांक- 28.12.2012 ग़ज़लकार-
आर. पी. आनन्द (एम. जे.)
जवाहर नवोदय विद्यालय पचपहाड़,
जिला- झालावाड़, राजस्थान ।

नव वर्ष हो हमें मुबारक, बन जायें हम सच्चे साधक

नव वर्ष हो हमें मुबारक



नव वर्ष हो हमें मुबारक, बन जायें हम सच्चे साधक,


पथ हो निर्बाध हमारा, बने न कोई उसमें बाधक।।



हर व्यक्ति का विकास करें हम, साथ-साथ सब आगे बढ़ें हम।


समाज हित में त्याग की क्षमता, परिवार हमारा, विकास करें हम।।



व्यक्ति, परिवार, समाज एक हों, विकास सभी की टेक एक हो।


मिल-जुल कर हम चलना सीखें, भले ही हमारे पथ अनेक हों।।



हो लोक हित में, तन्त्र कार्यरत, लोक-सेवक हो लोक सेवारत


अहम् हमारे मिट जायें सब, कर्तव्य पथ पर चलें कर्मरत।



आतंक का ना कहीं नाम हो, प्रेम भरी सुबह-शाम हो।


छुट्टियों की आदत हम छोड़े, प्यारा सबको काम हो।



नर-नारी ना हों प्रतिस्पर्धी, हो एक-दूसरे से हमदर्दी


साथ-साथ यदि चल न सकें तो, बने न किसी को हम बेदर्दी।



सपना मेरा नये बर्ष का, पल आयेगा कभी हर्ष का


स्टेन-गन ले चलने वाले, सुख पायेंगे, नेह स्पर्श का।



बने न सुविधा के आकांक्षी, नित राष्ट्रप्रेमी है शुभाकांक्षी


ईश नाम पर लड़ने वालो, कर्म करो, कर, ईश्वर साक्षी।



लक्ष्य भले ही ना मिल पाये, आगे नित हम बढ़ते जायें।


बाधाएँ आती हों आयें, पथ अपना हम क्यों घबरायें?



अकेलेपन से ना घबरायें, पथ में ही हम मित्र बनायें।


सबके हित में हाथ मिलायें, हाथों से ही उर मिल जायें।



भले ही हमारे हो आलोचक, हम तो राष्ट्र के हैं आराधक।


नव वर्ष हो हमें मुबारक, बन जायें हम सच्चे साधक।।