Saturday, November 19, 2011

दिल में बसाया कीजिए

गुरु हमारे युग निर्माता
                      कवि- नसीब सिंह, कक्षा-१२ विग्यान वर्ग
                      जवाहर नवोदय विद्यालय,
                      खुंगा-कोठी, जींद(हरियाणा)
गुरु हमारे युग निर्माता, सच के  ग्याता.
दिल से कभी ना इनका आदर  घटाया कीजिए.


मात-पिता से भी है ऊंचा दर्जा इनका,
भूल से भी न इनका दिल दुखाया कीजिए.


पल-पल कदम-कदम पर जो बने तुम्हारा सहारा,
उनके उपकारों को कभी ना भुलाया कीजिए.


नही है कोई भी उत्तम-स्थल गुरु चरणों से,
हरदम अपना मस्तक चरणों में झुकाया कीजिए.


हैं उन्हें उम्मीदें, तुमसे भी कहीं ज्यादा,
मेहनत कर उन सपनों को, कुछ तो सवांरा कीजिए.


गुरु-शिष्य रिश्ता होता है पवित्र और कोमल,
इस प्यारे रिश्ते को ना, ठेस पहुंचाया कीजिए.


गर ठेस पहुंचे तुम्हारे कारण उन्हें जरा भी,
कोशिश कर, ऐसी गलती ना दुबारा कीजिए.


दिन-रात जो लगे रहते हैं राष्ट्र-सेवा में,
उनकी भी सेवा बारे, कुछ तो विचारा कीजिए.


छोटी सी जिन्दगी में मोके ना मिलेंगे बार-बार,
हो सके तो इनका कुछ आशीर्वाद कमाया कीजिए.


जिन्होंने अमृत-वचनों से, हमेसा तुम्हें सिखाया,
’नसीब’ ऐसी हस्तियों को, दिल में बसाया कीजिए.

Monday, November 14, 2011

कविता कहां? अब खो गई है।


कविता कहां? अब खो गई है।
                                     
कविता कहां? अब खो गई है।
बीज  शांति  के, बो गई है॥
               शांति  मृत्यु की, मानो छाया,
               जीवन-विहीन ही, चलती काया।
               खोया  प्रेम, ईर्ष्या   नहीं  है,
               सपने मरे, दिख़ती न माया।
बेचैनी कहां? क्यों सो गई है?
कविता कहां? अब खो गई है॥
               जीने की, अब नहीं है इच्छा,
               मौत की भी, नहीं  प्रतीक्षा ।
               चाहते हैं,  संयमी   जो,
               गले पड़ी आ, वह तितीक्षा।
नि:स्पंद बुद्धि भी रो गई है।
कविता कहां? अब खो गई है॥

टीचर
           
शिक्षक को दो ही मिलें, मजदूर को सात हज़ार,
टीचर नहीं फटीचर कहो ,टीचर बैठे बार
टीचर बैठे बार लक्षमी जी जाम पिलातीं
सरस्वती खड़ी हताश, बेचारी दुत्कारीं जातीं।


अधिकारी?
                 
अधिकारी ही है भ्रष्ट जहां, लघुकारी न जाने क्या होगा?
मर्यादा विहीन हो राम यदि , मुरारी न जाने क्या होगा?
नेता ही हों कामिनी दास , अन्जाम न जाने क्या होगा?
रक्षक ही बन बैठे भक्षक, परिणाम न जाने क्या होगा?