संसदीय चुनाव
डॉ.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
संसदीय चुनाव
वोटर खेले फाग
चुनाव आयोग सशक्त,
आचार-संहिता तोड़ते
राजनीति के भक्त,
चुनाव-घोषणा पत्र
जनता रूपी प्रेमिका को
बेबफा-प्रेमी नेता का प्रेम-पत्र
बेबफा-प्रेमी नेता का प्रेम-पत्र
तारे तोड़कर लाने के वादे,
लूटकर प्रेमिका को,
प्रेमी वादे भुला दे,
बेच दे उसको वैश्यालय पहुँचा दे।
संसदीय चुनाव
लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव
संसदीय चुनाव
लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव
होली का त्योहार,
रंग-बिरंगे रंगों का उपहार,
रंग-बिरंगे रंगों का उपहार,
सभी उड़े रंग
जनता रह गयी दंग
बचा केवल रंग काला
चुनाव-गंगा बन गई नाला
सभी दल फँसे दल-दल में,
नेताओं के चेहरों पर पुती है कालिख
आ वोटर!वोट बेच,
कीमत वसूल!
थोड़ी कालिख,
अपने चेहरे पर भी मल
अपने चेहरे पर भी मल
अब नहीं रहा तू नाबालिग
वोट डाल चुनाव से हों फारिग।
संसदीय चुनाव
सत्ता रूपी दीपावली का त्योहार
दीपों का उपहार,
दीपक का तेल हुआ गुमनाम,
स्विस बैंक के खातों में,
वोटर आते बातों में,
बाती को भी हड़पने की लगी,
नेताओं में होड़
तू टिकिट के लिए लगा दे दौड़,
जनता को छोड़।
दीपावली है,चुनाव का जुआ खेल,
बाती को लगा दे दाँव पर,
जरा सा लगा के तेल
भारतीय, नारी, संस्कृति व विचार,
बचे हैं दाव पर लगाने को यार,
पश्चिमी-पारदर्शी-आकर्षक-नग्नता के आवरण में लपेट,
लगा दाव पर भरना अपना पेट।
संसदीय चुनाव,
रक्षाबंधन का त्योहार,
संसदीय चुनाव,
रक्षाबंधन का त्योहार,
बाँधकर रक्षासूत्र,
जनता सौंपती लोकतंत्र की रक्षा का भार,
नेताओं के लिए रक्षासूत्र,
चुनाव तक की दरकार,
तोड़ देंगे चुटकी में,
वश बन जाए सरकार।
रक्षासूत्र ही बनेगा कामसूत्र,
रक्षासूत्र बाँधने वाली को ही
अंकशायिनी बनने को कर देंगे मजबूर,
वस्त्रों को कर तार-तार,
इसी के कर-कमलों से पहनेंगे,
जीत के हार।
विजयादशमी होगी,
चुनाव-परिणामों की घोषणा,
वोटर की मजबूरी है,
किसी ना किसी को,
वोट देना जरूरी है
नोटा का विकल्प भले ही है मिला
किन्तु अभी नहीं हुआ सिलसिला।
संसदीय चुनाव
शिव की नगरी में आई बहार
वाराणसी की गंगा में रेलमपेल है
नरेन्द्र भले ही प्रधानमंत्री की दौड़ में हों
केजरी वाल के लिए तो चुनाव बस खेल है।
यदि बहुमत नहीं मिलेगा,
सभी हो जायेंगे सवार
तभी सत्ता का रथ चलेगा
सभी एक-दूसरे के गले लगेंगे,
हम मिलकर सहयोग करेंगे,
यूपीए,राजग,तीसरा,चौथा या पाँचवा मोर्चा,
आम आदमी भी सरकार में सहयोगी बनेगा
तभी तो कांग्रेस का चरखा चलेगा।
और सभी दल स्वतंत्र,
दल ही नहीं निर्दलीय उम्मीदवार भी
लोक को छोड़ पीछे,
अपनायेंगे सत्ता-तंत्र।
सभी का धर्म एक है,
सत्ता सभी की टेक है।
तंत्र पहनायेगा,
इन्हें जीत के हार,
जनता भले ही हो बेजार,
ये धर्म की रखेंगे लाज,
धार्मिक पर्यटन बढ़ायेंगे,
धार्मिक-स्थलों पर शराब पार्टी मनायेंगे,
होगें नग्न-नृत्य,
सभी वोटर बन जायेंगे भृत्य,
इनकी तिजोरी देखना,
वही होंगे इनके कृत्य,
जनता का हो राम नाम सत्य।
संसदीय चुनाव
लोकतंत्र का आगाज
वोटर तू अब जाग!
सपने मत ले
तू भी खेल ले फाग!
वोट की पिचकारी उठा
सभी प्रचलित रंगों को जुटा
भ्रष्टाचारियों के चेहरे कर तू काले
जमानत के पड़ जायँ उनको लाले
सरकार चुन ले सशक्त
जिसमें नेता हो देशभक्त
वादों को ध्यान से देख
निकाल इनमें मीन-मेख
मुफ्त में मकड़जाल में मत फँस।
यह कीचड़ है इसमें मत धस!
तेरे ऊपर दारोमदार है
राष्ट्रप्रेमी राष्ट्र हित का कर विचार
मत फँस झूठे हैं ये प्रचार
अन्तर्राष्ट्रीय छवि भी बनानी है
महँगाई पर लगाम,
विकास की गंगा बहानी है
नया पथ चुन
पुरानी कहानी मत सुन
देश को सुना मधुप की मधुर गुन-गुन।