Sunday, March 2, 2014

राष्ट्र-यज्ञ में सब कुछ अर्पित, आहुति बढ़कर देना सीखें

देश के हित में जीना सीखें

                

तन-मन-धन सब पाया यहीं पर, इसमें से कुछ देना सीखें।
हर पल क्षण कर इसे समर्पित, देश के हित में जीना सीखें।।
राष्ट्रदेव का ध्यान धरें हम,
कर्म ही सारे नेक करें हम।
जो भी बाधा पथ में आयें,
सब-कुछ तजकर साफ करें हम।
धन-पद-यश सम्बन्धों से हट, जन-हित में कुछ करना सीखें।
हर पल क्षण कर इसे समर्पित, देश के हित में जीना सीखें।।
देश के हित की बात करें सब,
भ्रष्टाचार  से  क्यूँ  नाता है?
देश की जनता खड़ी देखती,
अपना इसमें क्या जाता है?
देश की संपत्ति अपनी ही है, इसकी रक्षा करना सीखें।
हर पल क्षण कर इसे समर्पित, देश के हित में जीना सीखें।।
जीवन ही  ये,  राष्ट्र धरोहर,
अपना सब-कुछ इसे समर्पित।
धन-पद-यश कुछ नहीं चाहिए,
सम्बन्ध भी सब इसको अर्पित।
नर-नारी  प्रतिस्पर्धा  तज, मिल कर आगे बढ़ना सीखें।
हर पल क्षण कर इसे समर्पित, देश के हित में जीना सीखें।।
आओ मिल संकल्प करें हम,
ईर्ष्या-द्वेष, मद-मोह तजें हम।
नर-नारी हैं, देश की संपत्ति,
आओ सब मिल साथ रहें हम।
राष्ट्र-यज्ञ में सब कुछ अर्पित, आहुति बढ़कर देना सीखें।
हर पल क्षण कर इसे समर्पित, देश के हित में जीना सीखें।।


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